टीके से डर नहीं: इस गांव ने कोविड वैक्सीन को लेकर तोड़े भ्रम, सभी प्रेग्नेंट महिलाओं ने लिया टीका, जानें डिलीवरी के बाद का हाल

टीके से डर नहीं: इस गांव ने कोविड वैक्सीन को लेकर तोड़े भ्रम, सभी प्रेग्नेंट महिलाओं ने लिया टीका, जानें डिलीवरी के बाद का हाल

[ad_1]

  • Hindi News
  • Women
  • This Village Broke All The Confusion About The Kovid Vaccine, 100% Pregnant Women Took The Vaccine, Know What Is The Situation After Delivery

4 घंटे पहलेलेखक: सुनाक्षी गुप्ता

  • कॉपी लिंक
टीके से डर नहीं: इस गांव ने कोविड वैक्सीन को लेकर तोड़े भ्रम, सभी प्रेग्नेंट महिलाओं ने लिया टीका, जानें डिलीवरी के बाद का हाल
  • कसोली में 100% गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे लगवाई कोविड वैक्सीन, इनमें से 27% की हुई डिलीवरी
  • देशभर में करीब 20 लाख गर्भवती ले चुकी हैं कोरोना का टीका

हरियाणा के रेवाड़ी जिले का छोटा-सा गांव है कसोली। कुल आबादी लगभग दो हजार। सुबह करीब 10 बजे मैं गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर पहुंची। वहां पहले से भीड़ लगी थी। कुछ लोग अपने बच्चों के सर्दी-जुकाम की शिकायत लेकर पहुंचे थे तो कई कोरोना वैक्सीन के लिए पूछताछ कर रहे थे। ये वो गांव है, जहां 100% गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे वैक्सीन लगवाई है।

दैनिक भास्कर की टीम वैक्सीन के बाद मां-बच्चे के हालात समझने के लिए कसोली पहुंची और पड़ताल की…

मेरी पहली बातचीत हुई सरोज से। 23 साल की सरोज कैमरा देखकर झिझकी नहीं, बल्कि आराम से बात करने लगीं। शुरुआत अंग्रेजी में नाम बताने से हुई। वे कहती हैं- गांव में लोगबाग टोकते थे कि टीका मत लगाना। बच्चे की जान को खतरा रहेगा, मां को डिलीवरी में दिक्कत आएगी। शुरू में ये सब बातें सुनकर मैं भी डर गई, लेकिन फिर आंगनबाड़ी की आशा दीदी घर आईं। हेल्थ सेंटर के डॉक्टरों ने भी समझाया। मैं टीका लगवाने को राजी हो गई। इसी महीने की 17 तारीख को मुझे बेटा हुआ, जो बिल्कुल ठीक है।

सरोज अकेली नहीं, उन्हीं की तरह कसोली की सभी गर्भवती महिलाओं ने बिना डरे कोविड वैक्सीन ली, जिनमें से 27% की डिलीवरी भी हो चुकी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कसोला (रेवाड़ी जिला)

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कसोला (रेवाड़ी जिला)

घर-घर पहुंचकर लोगों को दिलाया भरोसा
रेवाड़ी जिले के टीकाकरण अधिकारी डॉ अशोक कुमार बताते हैं कि कोविड वायरस से बचाव के लिए गर्भवतियों के साथ उनके परिवार वालों को समझाना सबसे बड़ा चैलेंज था। गांव के लोग बहुत जल्द गलत जानकारी पर विश्वास कर लेते हैं, इसलिए उन्हें कोविड वैक्सीन की सही जानकारी और इसका फायदा समझाने के लिए कई बार अभियान चलाना पड़ता था। जिले के सभी हेल्थ सेंटर पर हर महीने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जागरुकता अभियान चलाए गए। गर्भवतियों को कोविड वैक्सीनेशन से होने वाले फायदे के बारे में बताने के लिए डॉक्टर सुबह से शाम तक सेंटर पर ही रहते, इस तरह एक- एक व्यक्ति तक पहुंचकर वैक्सीनेशन पूरा कराया गया। जिले में 8 जुलाई से गर्भवतियों के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू की गई।

कसोली गांव हरियाणा के रेवाड़ी जिले में है। इसकी आबादी लगभग दो हजार है।

कसोली गांव हरियाणा के रेवाड़ी जिले में है। इसकी आबादी लगभग दो हजार है।

बना हुआ था भ्रम
शुरुआत में गांव की महिलाएं हेल्थ सेंटर तक आने में हिचकिचाती थी। वे वॉट्सऐप पर आने वाले वायरल मैसेज और दूसरे गांव के लोगों की सुनी-सुनाई बातों में आकर वैक्सीन लगवाने से डरती थी। ऐसा भ्रम फैला था कि जो गर्भवती कोविड वैक्सीन लगवाएंगी उनके बच्चे की जान का खतरा रहेगा। बच्चा समय से पहले पैदा होगा या उसके शरीर की बनावट बिगड़ जाएगी। इस तरह के भ्रम फैलने के बाद गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में काम करने वाली आशा वर्कर्स ने घर-घर जाकर काउंसिलिंग का जिम्मा उठाया। इस तरह गांव की महिलाओं को कोविड वैक्सीनेशन के लिए राजी किया गया। जिले में अब तक 2359 गर्भवतियां कोविड वैक्सीन लगवा चुकी हैं। रेवाड़ी के कसोली गांव में सबसे अधिक 100% गर्भवती ने कोविड की पहली डोज लगाई है। इसके बाद कसोला गांव में 82% और लालपुर गांव में 61% गर्भवती कोविड वैक्सीनेशन करवा चुकी हैं।

नॉर्मल हुई डिलीवरी, खत्म हुआ डर
23 वर्षीय सरोज बताती हैं कि 9 अगस्त को उन्होंने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। वैक्सीन लगवाने के बाद दो दिन तक ही उन्हें बुखार व हरारत रही लेकिन इसे कंट्रोल करने के लिए उन्होंने कोई भी दवाई नहीं ली। 17 अक्टूबर को नॉर्मल डिलीवरी से उन्हें बेटा हुआ। ये उनका दूसरा बच्चा है जो नॉर्मल डिलीवरी से हुआ है। सरोज ये भी बताती है कि जब तक उन्होंने कोविड वैक्सीन नहीं लगवाई थी। गांव की महिलाएं उन्हें रोज कोई नहीं कहानी बता जाती। उनके रिश्तेदार ज्यादातर समय वैक्सीन न लगवाने की नसीहत देते। ये भी कहते कि अभी तक कुछ नहीं हुआ तो आगे भी कोरोना का खतरा नहीं होगा, वैक्सीन मत लगवाओ। सरोज को डराने वालों की कमी नहीं थी, कोई कहता कि वैक्सीन लगवाने से डिलीवरी के समय ज्यादा खून बहेगा। बच्चे दिव्यांग हो जाएगा। बच्चे को दूध पिलाने में मां को परेशानी होगी और न जाने क्या – क्या, लेकिन वैक्सीन लगवाने के बाद उन्हें इस तरह की कोई भी परेशानी नहीं हुई। अब सरोज दूसरी डोज लगवाने का इंतजार कर रही हैं, ताकि खुद को और बच्चे को कोरोना वायरस से पूरी तरह से सुरक्षित रख सकें।

23 साल की सरोज ने 9 अगस्त को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। 17 अक्टूबर को उनकी नॉर्मल डिलीवरी हुई।

23 साल की सरोज ने 9 अगस्त को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। 17 अक्टूबर को उनकी नॉर्मल डिलीवरी हुई।

कोरोना वैक्सीन लगने के बाद भी नहीं आया बुखार
गर्भ के सातवें महीने में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने वाली 24 वर्षीय संध्या कुमारी बताती हैं कि उन्हें टीका लगने के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। जबकि उनके घर के बाकी सदस्यों को कोविड वैक्सीन के बाद एक से दो दिन तक बुखार व हरारत रही थी, लेकिन उन्हें बुखार, सिर दर्द या किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। करीब दो साल के कोरोना काल में वो एक भी बार कोविड पॉजिटिव नहीं हुई। संध्या का ये दूसरा बच्चा है जो ऑपरेशन से पैदा हुआ है। गांव के सिविल हॉस्पिटल में 12 अक्टूबर को उनकी डिलीवरी हुई। यहां तक की ऑपरेशन से पहले हुए कोविड टेस्ट में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव ही आई। आज संध्या और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

बेटे के साथ संध्या कुमारी, गांव के सिविल हॉस्पिटल में 12 अक्टूबर को उनकी डिलीवरी हुई थी।

बेटे के साथ संध्या कुमारी, गांव के सिविल हॉस्पिटल में 12 अक्टूबर को उनकी डिलीवरी हुई थी।

प्रेग्नेंसी के चौथे महीने में बिना झिझक के लगवाई कोविड वैक्सीन
19 साल की सपना बताती हैं कि 9 अगस्त को उन्होंने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। तब उनका प्रेग्नेंसी का चौथा महीना चल रहा था। सपना बताती हैं कि कोरोना का टीका लगवाने से पहले कई लोग उन्हें ये कहकर भी डरा रहे थे कि शुरुआती महीनों में कोविड का टीका लेना सही नहीं रहता, लेकिन उन्होंने सिर्फ डॉक्टर की राय मानी और टीका लेकर न सिर्फ खुद को बल्कि अपने बच्चे को भी सुरक्षित रखने का फैसला लिया। पहली डोज के बाद उन्हें दो दिन हल्का बुखार और शरीर में दर्द बना रहा, उसके बाद उन्हें किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। अब वह एकदम स्वस्थ हैं। जल्द ही बच्चे का लेवल-2 स्कैन कराएंगी।

19 साल की सपना को पहली डोज के बाद हल्का बुखार और शरीर में दर्द रहा, उसके बाद कोई दिक्कत नहीं हुई।

19 साल की सपना को पहली डोज के बाद हल्का बुखार और शरीर में दर्द रहा, उसके बाद कोई दिक्कत नहीं हुई।

प्री-मैच्योर बच्ची को दिया जन्म, मां-बच्ची दोनों सुरक्षित
27 वर्षीय कमलेश बताती हैं कि 13 सितंबर को उन्हें कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ली। वैक्सीन लगवाने के बाद दो दिन तक उनके शरीर में दर्द और बुखार रहा था, लेकिन उसके बाद किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। प्रेग्नेंसी के 8वें महीने में 21 सिंतबर को उन्होंने ऑपरेशन के बाद बच्ची को जन्म दिया।
प्री-मैच्योर डिलीवरी के कारण बच्ची को नौ दिन तक एनआईसीयू (निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में डॉक्टर की देखभाल में रखा गया। कमलेश बताती हैं कि वो तीन बार प्रेग्नेंट हो चुकी हैं। उनका पहला बच्चा ऑपरेशन से हुआ था और दूसरे बच्चे की पेट में मौत होने का गम आज भी पूरे परिवार को है। प्रेग्नेंसी में पहले से दिक्कत आने के कारण इस बार उन्होंने चांस नहीं लिया और ऑपरेशन से ही डिलीवरी कराना सही समझा। आज मां और बच्ची दोनों सुरक्षित हैं।

एक महीने की बच्ची के साथ कमलेश

एक महीने की बच्ची के साथ कमलेश

वैक्सीन से दूरी हो सकती है खतरनाक
गायनाकोलॉजिस्ट डॉ विनीता सिंह बताती हैं कि कोविड से बचने के लिए गर्भवतियों को वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी हैं। अगर वे वैक्सीन नहीं लगवाती हैं तो ये उनके लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। अगर महिलाएं इस डर से वैक्सीन से बच रहीं है कि वैक्सीनेशन के बाद उन्हें बुखार हो जाएगा। तो उनके लिए एक फायदे की बात ये है कि ज्यादातर गर्भवतियों में वैक्सीनेशन के बाद कम परेशानी देखी गई है।

डॉ. विनीता के मुताबिक, जितनी भी गर्भवतियों को उन्होंने वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित किया, उनमें से लगभग 90% महिलाओं को वैक्सीनेशन के बाद किसी भी तरह की परेशानी नहीं हुई। उनमें केवल सिर दर्द की शिकायत देखी गई, बहुत कम महिलाओं को बुखार आया। वैक्सीन लगवाने के बाद पैरासिटामॉल की सिर्फ एक टैबलेट से महिलाएं बुखार से भी बच सकती हैं।

महिलाओं से भी ज्यादा उनके परिवार वालों को समझना जरूरी है कि कोविड वैक्सीन उनके लिए कितनी जरूरी है। कोविड वैक्सीन को लेकर लोगों ने तरह-तरह की धारणाएं बना रखी हैं। बच्चे के स्वास्थ्य के डर से घर वाले गर्भवतियों को वैक्सीन लगवाने से भी रोक देते हैं, जबकि उन्हें इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

जानिए क्यों जरूरी है गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन?

  • कोविड वैक्सीन की पहली डोज लगवाने से गर्भवती को कोविड वायरस से 68% सुरक्षित रहती हैं, दोनों डोज लगने से 94% सुरक्षा मिलती है।
  • वैक्सीन की एक भी डोज न लगवाने से कोविड पॉजिटिव होने पर बहुत जल्द गंभीर स्थिति में पहुंच सकती हैं।
  • जल्दी ब्लीडिंग होना, टाइम से पहले डिलीवरी होना और कुछ मामलों में गर्भपात होना।
  • गंभीर स्थिति पर पहुंचने पर आम व्यक्ति के मुकाबले गर्भवती को बहुत जल्द ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। वेंटिलेटर पर ले जाने की नौबत भी आ जाती है।
  • मां के जरिए वैक्सीन का असर बच्चे तक पहुंचता है, कुछ महीने तक बच्चा कोरोना से सुरक्षित रहता है ।
  • भले ही कोविड से बचाव के लिए गर्भवतियां घर से बाहर नहीं निकल रही हैं, लेकिन घर के बाकी सदस्य काम के लिए बाहर जाते हैं। ऐसे में गर्भवती पर कोविड वायरस के अटैक का खतरा बना रहता है। इसलिए वैक्सीन जरूरी है।

4 से 6 महीने में कोरोना की पहली डोज बहुत कारगर
कसोला प्राइमरी हेल्थ सेंटर के डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि सेंटर में गर्भवतियों के रेगुलर चेकअप के दौरान वे उन्हें कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करते हैं। महिलाओं को ये भी सुझाव देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेंस्टर यानी 4 से 6 महीने में वे कोविड वैक्सीन लगवा लें, ताकि बच्चे की लेवल-2 स्कैनिंग में मॉनिटर किया जा सके। लेवल-2 स्कैनिंग में बच्चे की धड़कन, किडनी और लिवर जैसे अंग कैसे बन रहे हैं और काम कर रहे हैं, ये देखा जाता है।

अगर मां को समय से कोरोना वैक्सीन लग जाती है तो डॉक्टर ये देख सकते हैं कि बच्चे पर इसका कैसा असर पड़ रहा है। डॉक्टर का यह भी कहना है कि गर्भवती कोरोना की दूसरी डोज भी जरूर लगवाएं। इससे वे खुद को तो सुरक्षित रखेंगी हीं, साथ ही मां के जरिए बच्चे पर भी वैक्सीन का असर लंबे समय तक रहेगा और डिलीवरी के बाद बच्चे की कई इन्फेक्शन और वायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी।

कोविड से बचाव के लिए प्रशासन ने गर्भवतियों के साथ उनके परिवार वालों को भी जागरूक किया है।

कोविड से बचाव के लिए प्रशासन ने गर्भवतियों के साथ उनके परिवार वालों को भी जागरूक किया है।

वैक्सीन का फर्टिलिटी पर नहीं पड़ता असर
अगर आप नॉर्मल प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं और IVF या IUI का रुख कर रही हैं, तब भी बिना डरे कोरोना वैक्सीन लगवा सकती हैं। गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्टट्रिशन डॉ. राधा अगरतनिया बताती हैं- कोरोना वैक्सीन किसी भी तरह से महिला की फर्टिलिटी पर असर नहीं डालती है। जो कपल्स IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और IUI (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) के लिए प्लान कर रहे हैं, उन्हें भी घबराने की जरूरत नहीं है। किसी भी केस में कोरोना वैक्सीन के लिए प्रेग्नेंसी टालने की जरूरत नहीं है। जो महिलाएं IVF के जरिए भी प्रेग्रेंट हुई हैं, वे भी अपने डॉक्टर से बात कर बिना डरे कोरोना की वैक्सीन ले सकती हैं, ये हर तरह से सुरक्षित है।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link

Published By:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *