जस्टिस फॉर द जज: दैवीय शक्ति ने अयाेध्या फैसले काे संभव बनाया; पूर्व सीजेआई की आत्मकथा में कई खुलासे
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एक घंटा पहले
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पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गाेगाेई
देश के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गाेगाेई ने कहा है कि दैवीय शक्ति ने ही अयाेध्या मामले में फैसले काे संभव किया है। उन्हाेंने अपनी किताब ‘जस्टिस फाॅर द जज’ में अयाेध्या में रामजन्म स्थान के मुकदमे से जुड़ी कई घटनाओं का जिक्र किया है। इसके अलावा उन्हाेंने काॅलेजियम के कई विवादित निर्णयाें और जज के रूप में तमाम राेचक बाताें का उल्लेख किया है। जस्टिस गाेगाेई के सीजेआई कार्यकाल के दाैरान ही अयाेध्या मामले का फैसला आया।
जस्टिस गाेगाेई की अध्यक्षता वाली पांच जजाें की बेंच ने 40 दिन तक लगातार सभी पक्षाें की जिरह सुनने के बाद फैसला दिया था। उन्हाेंने किताब में लिखा है कि यह भारत की न्यायपालिका का मानवता के इतिहास में याेगदान का बड़ा अवसर था। इस फैसले के द्वारा उससे दुनियाभर के समुदायाें में धार्मिक टकरावाें काे शांतिपूर्ण और न्यायिक ढंग से सुलझाने की इच्छा जगाने की अपेक्षा की गई थी।
जस्टिस गाेगाेई ने कहा है कि सुनवाई काे टालने के भी बहुत प्रयास किए गए। सुनवाई के अंतिम दिन का वाकया सुनाते हुए गाेगाेई ने लिखा है कि दाेपहर में उनकाे सुप्रीम काेर्ट के सेक्रेटरी जनरल की पर्ची मिली कि अयाेध्या मसले में एक पक्ष का प्रतिनिधि सुप्रीम काेर्ट में प्रवेश की इजाजत मांग रहा है।
उन्हाेंने सेक्रेटरी जनरल काे जवाब दिया कि उसकाे न आने दिया जाए। यह शख्स सेक्रेटरी जनरल या रजिस्ट्री के माध्यम से आना चाह रहा था, मुझे उसके इरादे ठीक नहीं लगे। वह सुनवाई में बाधा डालना चाहता था। अगर उसे ऐसा करने दिया जाता ताे शायद सुनवाई स्थगित करनी पड़ती।
यौन उत्पीड़न केस में बेंच में मेरा शामिल होना गलत था
पूर्व सीजेआई ने कहा कि ‘अप्रैल 2019 में मेरे खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था। तब मुझे अपने खिलाफ आरोपों की सुनवाई वाले पैनल में बतौर जज शामिल नहीं होना चाहिए था। हम सब गलतियां करते हैं, इसे कबूलने में कोई नुकसान नहीं है। मेरे साढ़े 4 दशक को करियर पर दाग लगाया जा रहा था, इसलिए मुझसे भी यह गलती हुई।’
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