जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ने का विरोध क्यों: राजनीतिक दल बोले- सत्ता में आने के लिए भाजपा का फोकस हिंदू प्रभाव वाले जम्मू पर, इसलिए वहां 6 सीटें और SC-ST रिजर्वेशन

जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ने का विरोध क्यों: राजनीतिक दल बोले- सत्ता में आने के लिए भाजपा का फोकस हिंदू प्रभाव वाले जम्मू पर, इसलिए वहां 6 सीटें और SC-ST रिजर्वेशन

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श्रीनगर9 मिनट पहलेलेखक: मुदस्सिर कुल्लू

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जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ने का विरोध क्यों: राजनीतिक दल बोले- सत्ता में आने के लिए भाजपा का फोकस हिंदू प्रभाव वाले जम्मू पर, इसलिए वहां 6 सीटें और SC-ST रिजर्वेशन

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर विधानसभा में बढ़ाई जाएंगी। जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी। इसी के साथ 83 सीटों वाली विधानसभा का आकार बढ़कर 90 सीटों का हो जाएगा। इस प्रस्ताव का न केवल कश्मीरियों, बल्कि राजनीतिक दलों ने भी पुरजोर विरोध किया है। जानिए, विरोध की वजह…

भाजपा जम्मू के वोट बैंक पर निर्भर, इसलिए जोर वहीं
भास्कर ने जब राजनीतिक दलों से इस पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदुओं के प्रभाव वाले जम्मू में सीटें बढ़ाना चाहती है। वह चाहती है कि इससे वह सत्ता में आए और अपना मुख्यमंत्री बना सके। अगर जम्मू में सीटें बढ़ती हैं तो इसका फायदा भाजपा को पहुंचेगा, क्योंकि वह यहां के वोट बैंक पर काफी ज्यादा निर्भर करती है। कश्मीर पर भाजपा की निर्भरता कम है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।

पढ़ें, जम्मू और कश्मीर में परिसीमन आयोग का क्या है प्रस्ताव..

राजनीतिक दलों की डिमांड, जनसंख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा हो
2011 की जनगणना के मुताबिक, कश्मीर में 68 लाख 88 हजार 475 जनसंख्या है, यह राज्य की करीब 54.93% आबादी है। इसके पास 46 सीटें हैं, जो कि विधानसभा में प्रतिनिधित्व के हिसाब से 52.87% बैठती है। इसी तरह जम्मू में 53 लाख 78 हजार 538 लोग रहते हैं। इसके पास विधानसभा में 37 सीटें और वहां प्रतिनिधित्व 42.52% है।

कश्मीरी पार्टियों की मांग है कि सीटों का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर होना चाहिए। घाटी की राजनीतिक पार्टियां तर्क देती हैं कि कश्मीर घाटी की आबादी जम्मू के मुकाबले 15 लाख ज्यादा है और ऐसे में इसे विधानसभा में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

ST और SC का आरक्षण का भी प्रस्ताव, भाजपा का फोकस बहुमत पर
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में अनूसूचित जनजाति (ST) को आरक्षण देने की बात कही थी। जम्मू-कश्मीर में इनकी आबादी 11.9% है। इनके लिए परिसीमन आयोग ने 9 सीटों का प्रस्ताव दिया है। इनकी सबसे ज्यादा आबादी जम्मू रीजन में ही है यानी करीब 70% और कश्मीर में यह आंकड़ा 30% का है। इनमें गुज्जर बक्करवाल, सिप्पी और गड्डी है।

अनुसूचित जाति (SC) के लिए 7 सीटों का प्रस्ताव रखा है। राज्य में इनकी आबादी 9 लाख 24 हजार 991 है और यह आबादी का 7.38% हैं। कश्मीर घाटी में इनकी तादाद बेहद कम है।

अब जरा आंकड़ों में देखते हैं इसका असर
पिछले विधानसभा चुनाव में PDP को 28 सीटें मिलीं, भाजपा को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें जम्मू में मिलीं, जहां हिंदुओं का प्रभाव है। 2014 में भाजपा बहुमत से 44 सीटें कम थी। अब परिसीमन के बाद भाजपा को बूस्ट मिल सकता है। राजनीतिक दलों का मानना है कि जम्मू में SC और ST आबादी पर फोकस बढ़ाकर भाजपा आने वाले चुनाव में 45 सीटों का आंकड़ा पार करना चाहती है।

परिसीमन पर भाजपा का तर्क
भाजपा कह रही है कि जम्मू 26 हजार 293 वर्ग किलोमीटर में फैला है और कश्मीर 15 हजार 948 वर्ग किलोमीटर में और इसलिए परिसीमन केवल जनसंख्या नहीं, बल्कि इलाके को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। हालांकि भाजपा कश्मीर में भी अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहती है और इसलिए राज्य के पार्टी चीफ रवींदर रैना ने यहां कुछ सीमाई इलाकों में रैलियां कीं।

यहां गुज्जर और बकरवाल समुदाय का प्रभुत्व है जो अनुसूचित जनजाति से आते हैं। इन्हें वादा किया गया कि उनके जीवन स्तर को सुधारा जाएगा। केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा है कि चुनाव परिसीमन के बाद ही होंगे यानी तब जब सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई 6 मार्च 2022 तक अपनी रिपोर्ट फाइनल कर लेंगी।

महबूबा बोलीं- भाजपा के सियासी फायदे के लिए बना कमीशन
इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रेसिडेंट महबूबा मुफ्ती ने कहा- परिसीमन कमीशन के सामने मेरी आपत्तियां गलत नहीं थीं। इनकी कोशिशों लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की है। जनगणना के आंकड़ों को भी ध्यान में नहीं रखा जा रहा है।

एक क्षेत्र को 6 और कश्मीर को बस एक सीट दी जा रही है। यह कमीशन BJP को सियासी फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है। मजहब और क्षेत्रवाद के आधार पर बंटवारा किया जा रहा है। कोशिश यह है कि अगस्त 2019 में जो कदम उठाया गया था, उसके आधार पर सरकार बनाई जाए।

उमर अब्दुल्ला बोले- इस परिसीमन से बेहद निराश हूं
नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा- मैं इस परिसीमन से बेहद निराश हूं। कमीशन BJP का पॉलिटिकल एजेंडा पूरा कर रहा है। जो डेटा था उसको भी ध्यान में नहीं रखा गया। हमें ये कबूल नहीं है। 6 सीटें जम्मू और सिर्फ 1 कश्मीर को दी जा रही है। ये 2011 की जनगणना के मुताबिक भी गलत है।

कांग्रेस ने कहा- आबादी के लिहाज से परिसीमन नहीं हुआ
जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस चीफ गुलाम अहमद मीर ने कहा- एससी और एसटी के लिए तो सीटें पहले से रिजर्व हैं। जहां तक परिसीमन की बात है तो इसे आबादी के आधार पर होना चाहिए। 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू और कश्मीर की आबादी 1.22 करोड़ है। आबादी के लिहाज से तो परिसीमन नहीं हो रहा।

लोन बोले- सिफारिशें हमें कतई मंजूर नहीं
पूर्व मंत्री और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चीफ सज्जाद गनी लोन ने कहा- परिसीमन कमीशन की सिफारिशें हमें कतई मंजूर नहीं हैं। ये उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जो लोकतंत्र में यकीन करते हैं। अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी ने भी सिफारिशों को खारिज कर दिया। कहा- आबादी और जिलों को आधार बनाया जाना चाहिए था।

रिसर्च स्कॉलर और एक्टिविस्ट भी विरोध में
सियासी पार्टियों के अलावा आम लोगों ने भी इस परिसीमन पर सवाल उठाए। रिसर्च स्कॉलर शाहिद अहमद ने कहा- ये तो वही हो रहा है जो BJP चाहती थी। मुझे समझ नहीं आ रहा कि किस आधार पर जम्मू में 6 और कश्मीर में सिर्फ 1 सीट बढ़ाई जा रही है।

सीनियर जर्नलिस्ट अहमद अली फैयाज ने कहा- 1996 तक 10 विधानसभा सीटों का अंतर था। तब कश्मीर में 42 और जम्मू में 32 सीट थीं। अब कमीशन कह रहा है कि कश्मीर में 48 और जम्मू में 52 सीटें होंगी। ​​​​गुज्जर एक्टिविस्ट इरशाद अहमद खटाना ने कहा- एसटी के लिए आरक्षण से गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोगों को फायदा होगा।

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