जब मंच पर रो पड़े थे पूर्व सीएम कल्याण सिंह…: कहा था- संघ और BJP का संस्कार मेरे खून की बूंद-बूंद में है, मेरी इच्छा है कि जब जीवन का अंत हो तो मेरा शव भाजपा के झंडे में लिपटकर जाए

जब मंच पर रो पड़े थे पूर्व सीएम कल्याण सिंह…: कहा था- संघ और BJP का संस्कार मेरे खून की बूंद-बूंद में है, मेरी इच्छा है कि जब जीवन का अंत हो तो मेरा शव भाजपा के झंडे में लिपटकर जाए

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  • Ex CM Uttar Pradesh Kalyan Singh Dies At The Age Of 89. Kalyan Singh The Sanskar Of The Sangh And The BJP Is In The Drop Of My Blood, I Wish That When My Life Ends, My Body Should Be Wrapped In The BJP’s Flag.

लखनऊ14 मिनट पहले

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जब मंच पर रो पड़े थे पूर्व सीएम कल्याण सिंह…: कहा था- संघ और BJP का संस्कार मेरे खून की बूंद-बूंद में है, मेरी इच्छा है कि जब जीवन का अंत हो तो मेरा शव भाजपा के झंडे में लिपटकर जाए

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (बाबू जी) नहीं रहे। शनिवार को उन्होंने 89 साल की उम्र में लखनऊ के SGPGI में आखिरी सांस ली। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह ने अपना पूरा जीवन भाजपा को मजबूत करने में लगाया। एक बार पार्टी से नाराजगी भी हुई, लेकिन बाद में फिर वह वापस आ गए और सांसद भी बने।

आज जब वह नहीं है तो उनकी एक पुरानी बात हर किसी को याद आती है। एक बार उन्होंने एक मंच से भारतीय जनता पार्टी और संघ के प्रति अपने प्रेम को जाहिर किया था। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा था, ‘संघ और भारतीय जनता पार्टी के संस्कार मेरे रक्त के बूंद-बूंद में समाए हुए हैं। मेरी इच्छा है कि जीवन भर भाजपा में रहूं और जीवन का जब अंत होने का हो तो मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झंडे में लिपटकर जाए।’

कल्याण सिंह की जीवन यात्रा

  • अलीगढ़ में जन्में, पूरे देश में कमाया नाम

कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार होने वाले कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।

एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी।

  • यूपी में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने

कल्याण सिंह 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। वह भाजपा के यूपी में पहले सीएम भी थे। पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 21 फरवरी 1998 तक CM रहे। हालांकि, अगले दिन 22 फरवरी 1998 को वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और 12 नवंबर 1999 तक इस पद पर रहे।

30 अक्टूबर, 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी। प्रशासन कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना रहा था।

ऐसे वक्त में भाजपा ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे किया। कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी।

  • जब BJP छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ गए थे

बात 1999 की है। कल्याण सिंह और भाजपा के कुछ नेताओं के बीच मनमुटाव हो गया। नाराजगी में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और 5 साल बाद फिर भाजपा में वापसी की। इसके बाद 2004 में वह भाजपा के टिकट पर बुलंदशहर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की।

इसके बाद वे फिर भाजपा छोड़कर चले गए और 2009 के लोकसभा चुनाव में जब लालकृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे, तब कल्याण एटा से निर्दलीय सांसद चुने गए। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी और भाजपा के तत्कालीन उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह तीसरी बार कल्याण सिंह को भाजपा में लेकर आए। इसके बाद कल्याण सिंह को राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।

  • मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली

कल्याण सिंह ने एक साल के अंदर ही भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने।

सीबीआई में दायर आरोप पत्र के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी।

  • कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के दौरान कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने इस्तीफा सौंप दिया था।

हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा था कि यूपी के सीएम के रूप में, वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।

  • कल्याण ने बाबरी मस्जिद गिराने की नैतिक जिम्मेदारी ली

सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया। कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर, 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दी। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।

कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली।

  • आखिरी समय भी जाना चाहते थे अयोध्या

5 अगस्त 2020 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया तब कल्याण सिंह भी अयोध्या जाना चाहते थे। हालांकि, तबियत खराब होने की वजह से वह नहीं जा सके। इसका उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से लेकर कई दिग्गज नेताओं से जिक्र भी किया।

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