जबरन टीका बंद : सुप्रीम कोर्ट
जबरन टीका बंद : सुप्रीम कोर्ट
खबर बड़ी है जी दोस्तों सुप्रीम कोर्ट का जैकब एंड फुलिया केस का फाइनल डिसीजन आ गया है, बताते है केस क्या था इस
जबरन टीका कारण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषन के एक केस किया था जिसका फैसला आगया है जिसमे एडवोकेट प्रशांत भूषन की जीत हुई है
जानते है है केस क्या था केस देश में मानवाधिकार कानून का उलघन करते हुए देश की सरकार और वैक्सीन कंपनी मनमाने ढंग से टीका लगाए जारही है और विभिन प्रकार की पाबंदियां भी लगरही थी जैसे हवाई जहाज ने नहीं जा सकते ट्रैन में नहीं चढ़ सकते, बस में यात्रा करना मन था स्कूल में एंट्री और ऑफिस में जाने की मनाही
दोस्तों इसी बात को लेकर कोर्ट में एक जनहित याचिका अधिवक्ता प्रशांत भूषन ने दाकिल की जिसके लिए सर्कार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था की ऐसे कैसे सुप्रीमकोर्ट को नहीं नहीं लेने चाहिए इन केसों की वजह से लगो में वैक्सीन के खिला डर फैलेगा ऐसे में कोर्ट ने सर्कार की ये दलील न सुनते हुए केस पर सुनावै की जिसमें सरकार और वैक्सीन कंपनी हर पहलु पर धरासाई हुए अब अंत में जीत प्रशांतभूषण और सच की हुई साथ सरकार को आदेश किया गया की अब किसी को भी वैक्सीन लगाने के मजबूर नहीं किया जाना चाहिए साथ ही वैक्सीन के वजह से होने वाले साइडइफेक्ट्स का डाटा तैयार करके देना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद २१ का हवाला देते हुए कहा की आप कोई भी कानून लेकर मानवाधिकार का उलघन नहीं कर सकते ये गलत है