जजों की सुरक्षा पर नहीं दिया हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को लगाई फटकार, केंद्र ने कहा- जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स व्यावहारिक नहीं

जजों की सुरक्षा पर नहीं दिया हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को लगाई फटकार, केंद्र ने कहा- जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स व्यावहारिक नहीं

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नई दिल्ली20 घंटे पहले

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जजों की सुरक्षा पर नहीं दिया हलफनामा: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को लगाई फटकार, केंद्र ने कहा- जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स व्यावहारिक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगली सुनवाई पर अगर जवाब दायर नहीं किया गया तो वे सभी पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाएंगे।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जजों की सुरक्षा का मुद्दा राज्यों पर छोड़ देना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स का गठन व्यावहारिक नहीं होगा। केंद्र ने यह बात झारखंड में जज की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मंगलवार काे कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्या देशभर में जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स गठित की जा सकती है? चीफ जस्टिस एनवी रमना (सीजेआई), जस्टिस सूर्यकांत और अनिरूद्ध बोस की पीठ ने मामले में जवाब दायर न करने पर राज्यों को कड़ी फटकार भी लगाई।

कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगली सुनवाई पर अगर जवाब दायर नहीं किया गया तो वे सभी पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाएंगे। ज्ञात हो कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की ऑटो से टक्कर मार कर हत्या करने के मामले में जजों की सुरक्षा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था।

मामले में देश के सभी राज्यों से जजों की सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा गया था। केंद्र सरकार की ओर से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि उन्होंने सभी राज्यों को जजों की सुरक्षा पर गाइडलाइंस जारी की हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जजों की सुरक्षा के लिए राज्यों को व्यापक निर्देश जारी किए हैं।

खुफिया जानकारी से निपटने में राज्य पुलिस बेहतर
तुषार मेहता ने कहा कि जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर की फोर्स का गठन व्यवहारिक नहीं, इसे राज्यों को अपने स्तर पर करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके लिए स्थानीय पुलिस के साथ प्रतिदिन समन्वय की जरूरत होती है। इस लिहाज से राज्यों में अदालतों व जजोंं की सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती की सलाह दी जाती है। अपराधियों की निगरानी, खतरे के संबंध में खुफिया जानकारी आदि से राज्य पुलिस बेहतर ढंग से निपट सकती है। पुलिसिंग राज्य सरकार का विषय है।

इसीलिए उन्होंने राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दिशा-निर्देश तो ठीक हैं, क्या केंद्र सरकार ने पैरामीटर भी तय किए हैं। हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि उन निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं? जजों को किस हद तक सुरक्षा दी गई है? आप केंद्र सरकार हैं।

आप राज्यों के डीजीपी को बुलाकर रिपोर्ट तलब कीजिए। तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र उनके दिशा-निर्देशों का पालन के लिए जल्द ही राज्यों के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी के साथ बैठक करेगी। चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि असम को छोड़कर किसी भी राज्य ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। कई राज्यों ने अभी तक अपना जवाब दायर नहीं किया है।

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