चौकोर आंखों वाला ग्लास ऑक्टोपस: प्रशांत महासागर की गहराई में मिला दुर्लभ ऑक्टोपस, स्किन इतनी पारदर्शी कि शरीर के आर-पार देख सकते हैं
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एक घंटा पहले
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वैज्ञानिकों का कहना है, ऑक्टोपस की इस प्रजाति तक पहुंचना मुश्किल होता है, क्योंकि ये बेहद गहराई में रहते हैं।
वैज्ञानिकों को प्रशांत महासागर की गहराई में एक दुर्लभ पारदर्शी ऑक्टोपस मिला है। इसे ग्लास ऑक्टोपस का नाम दिया गया है। खास बात है कि इस ऑक्टोपस की स्किन इतनी पारदर्शी है कि इसमें मौजूद सभी अंग आंखों से देखे जा सकते हैं। इसे फीनिक्स आइलैंड के पास देखा गया। वैज्ञानिक भाषा में इसे विट्रेलेडोनेल्ला रिकार्डी कहते हैं।
इस प्रजाति तक पहुंचना है मुश्किल
वैज्ञानिकों का कहना है, ऑक्टोपस की इस प्रजाति तक पहुंचना मुश्किल होता है, क्योंकि ये बेहद गहराई में तैरते हुए नजर रहते हैं। इसे तब देखा गया है जब कोई दूसरा जीव इसे अपना शिकार बना रहा था।
शेमिडिट ओशियन इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर डॉ. ज्योतिका वीरमानी कहती हैं, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ विज्ञान से जुड़ी कई चीजों को खोजा और देखा जा सकता है। ग्लास ऑक्टोपस भी पानी के अंदर लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान देखा गया।
आंखें होती हैं चौकोर
शोधकर्ताओं का कहना है, ग्लास ऑक्टोपस पर अब तक कोई बड़ी रिसर्च नहीं की गई है, इसलिए इसके बारे में कुछ ही बातें सामने आई हैं। इसका शरीर 45 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। ग्लास ऑक्टोपस के शरीर पर पाए जाने वाले गोल सकर छोटे होते हैं। आंखें चौकोर होती हैं और अंडों के अंदर इनका भ्रूण विकसित होता है। यह तब तक विकसित होता है जब ये बाहर आने लायक न हो जाए।
डॉ. वीरमानी और उनकी टीम फीनिक्स आईलैंड देखने के लिए निकली थी। फीनिक्स आइलैंड दुनिया का सबसे बड़ा कोरल इकोसिस्टम है। यहां वैज्ञानिकों ने कोरल की नई प्रजातियां ढूंढी हैं। इनमें गोल्डन कोरल भी शामिल है। समुद्र यात्रा के दौरान समुद्री जीवों को देखने वाले रोबोट ने व्हेल शार्क भी देखी और इसे कैमरे में कैद किया। व्हेल शार्क की लम्बाई करीब 40 फीट थी।
इसके अलावा एक केकड़ा दिखा जो दूसरे केकड़े से मछली को छीनने की कोशिश कर रहा था। द वुड्स होल ओशियनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के बायोलॉजिस्ट डॉ. टिम शैन्क कहते हैं, समुद्र को गहराई से देखते हैं तो पता चलता है कि इन जीवों ने अपने जीने का तरीका बदल दिया है। यहां कई ऐसी चीजें मिलती हैं जो कभी खोजी ही नहीं गईं।
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