चांद पर जा सकता है पहला भारतीय: NASA ने मून मिशन के लिए सिलेक्ट किए 10 एस्ट्रोनॉट, इनमें भारतीय मूल के अनिल मेनन भी

चांद पर जा सकता है पहला भारतीय: NASA ने मून मिशन के लिए सिलेक्ट किए 10 एस्ट्रोनॉट, इनमें भारतीय मूल के अनिल मेनन भी

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वॉशिंगटन6 मिनट पहले

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चांद पर जा सकता है पहला भारतीय: NASA ने मून मिशन के लिए सिलेक्ट किए 10 एस्ट्रोनॉट, इनमें भारतीय मूल के अनिल मेनन भी

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अपने मून मिशन के लिए 10 एस्ट्रोनॉट को चुना है। इनमें भारतीय मूल के अनिल मेनन भी शामिल हैं। 45 साल के अनिल NASA की क्लास 2021 का हिस्सा बनेंगे। NASA 50 साल बाद चांद पर इंसान भेजने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अनिल अमेरिकी एयरफोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और स्पेसएक्स में फ्लाइट सर्जन भी रहे।

अनिल मेनन भारत में भी करीब एक साल गुजार चुके हैं। तब वे यहां पोलियो अभियान की स्टडी और उसके सपोर्ट के लिए भेजे गए थे। चंद्रमा पर अब तक भारत का कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं गया है। हालांकि अब तक भारत के 3 लोग अंतरिक्ष में जा चुके हैं। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे। उनके अलावा भारतीय मूल कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स और राजा चारी अंतरिक्ष में गए हैं। अगर अनिल NASA के मून मिशन का हिस्सा बनते हैं तो वे चंद्रमा पर जाने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति होंगे।

12 हजार लोगों मे 10 यात्रियों का चुनाव

मून मिशन के लिए चुने गए 9 साथियों के साथ अनिल मेनन ( पिछली कतार में बाएं से तीसरे नंबर पर)

मून मिशन के लिए चुने गए 9 साथियों के साथ अनिल मेनन ( पिछली कतार में बाएं से तीसरे नंबर पर)

मून मिशन के लिए 10 हजार लोगों के आवेदन आए थे, इनमें ट्रेनिंग के लिए सिर्फ 10 को चुना गया है। ये लोग अगले साल जनवरी में टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर पर रिपोर्ट करेंगे। इसके बाद उन्हें 2 साल की ट्रेनिंग से गुजरना होगा। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ये सभी नासा की आर्टेमिस जेनरेशन प्रोग्राम का हिस्सा बनेंगे। इस प्रोग्राम के तहत नासा 2025 में पहली महिला और एक पुरुष को चांद की सतह पर भेजने की योजना बना रहा है।

कौन हैं अनिल मेनन?
अनिल मेनन के माता-पिता भारतीय और यूक्रेनियन थे। वे अमेरिका के मिनेसोटा में पले-बढ़े हैं। उन्होंने 1999 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी में ग्रेजुएशन किया। 2004 में कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। स्टैनफोर्ड मेडिकल स्कूल से उन्हें डॉक्टर की डिग्री भी मिली हुई है। उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर NASA के कई अभियानों के लिए क्रू फ्लाइट सर्जन का भी रोल निभाया है।

स्पेसएक्स के लिए किया काम
2014 में उन्होंने NASA के फ्लाइट सर्जन के तौर पर काम करना शुरू किया। वे सोयुज मिशन में भी शामिल रहे। 2018 में उन्होंने एलन मस्क की स्पेसएक्स जॉइन की। कंपनी की पहली ह्यूमन फ्लाइट के मेडिकल प्रोग्राम और तैयारियों में मदद की। उन्होंने स्टारशिप के निर्माण, एस्ट्रोनॉट प्रोग्राम, लॉन्च प्रोग्राम्स के लिए काम किया।

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