चर्चा में सिरिशा बांदला, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री: कमजोर आंखों ने नासा नहीं जाने दिया तो स्पेस जाने के लिए बनाया प्लान बी

चर्चा में सिरिशा बांदला, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री: कमजोर आंखों ने नासा नहीं जाने दिया तो स्पेस जाने के लिए बनाया प्लान बी

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एक घंटा पहले

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चर्चा में सिरिशा बांदला, भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री: कमजोर आंखों ने नासा नहीं जाने दिया तो स्पेस जाने के लिए बनाया प्लान बी

कॉलेज के दिनों में जीरो ग्रैविटी उड़ान का अभ्यास करतीं सिरिशा।

  • अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली चौथी भारतीय बन गई हैं, रविवार को रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी के विमान से यात्रा की।
  • जन्म : 22 जनवरी 1987 (आंध्रप्रदेश)
  • शिक्षा : बैचलर ऑफ साइंस और एमबीए
  • परिवार : जीवनसाथी- शीन हू
  • पिता- मुरलीधर, मां- अनुराधा

एस्ट्रोनॉट 004… भारतीय मूल की सिरिशा बांदला की अब यह नई पहचान है। रविवार को जब उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी, तो निजी विमान में बैठे कुल 4 यात्रियों को इसी तरह नंबर दिए गए थे। अंतरिक्ष यात्रा के लिए जब वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी ने उनका नाम चुना, तो इसकी जानकारी घरवालों को भी नहीं थी। घोषणा वाले दिन सिरिशा ने परिवार के चैट ग्रुप में मैसेज डाला- ‘मैं स्पेस जा रही हूं।’ इसके बाद अमेरिका में उनके परिवार के साथ-साथ आंध्रप्रदेश के गुंटूर में रहने वाले परिजन भी खुशी से झूम उठे।

वर्जिन के इस निजी विमान में सिरिशा के अलावा वर्जिन समूह के मालिक रिचर्ड ब्रैनसन समेत चार यात्री और चालक दल से दो लोग थे। एक घंटे से कम समय की इस यात्रा में क्रू ने चंद मिनट स्पेस की भारहीनता भी महसूस की। सिरिशा अंतरिक्ष में जाने की उपलब्धि हासिल करने वाली चौथी भारतीय हैं।

इससे पहले यह गौरव राकेश शर्मा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स को हासिल था। हालांकि सिरिशा की यह यात्रा शोध-अध्ययन के मकसद से नहीं थी। वर्जिन से पहले एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स भी प्रयोग के तौर पर अंतरिक्ष यात्रा करा चुकी है। अब जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन भी निजी विमान से यात्रियों को ले जाने के लिए तैयार है। सिरिशा, वर्जिन गैलेक्टिक में सरकारी मामलों की वाइस प्रेसिडेंट हैं।

रिसर्चर एक्सपीरिएंस के तौर पर अंतरिक्ष में गईं थी सिरिशा

आंध्रप्रदेश में जन्मीं सिरिशा, परवरिश अमेरिका में हुई
सिरिशा आंध्रप्रदेश के गुंटूर में जन्मीं। पिता मुरलीधर अमेरिका में कृषि वैज्ञानिक थे। सिरिशा चार साल की उम्र तक भारत में रहीं। फिर अमेरिका के होस्टन में जाकर बस गईं। सिरिशा के दादा एक इंटरव्यू में कहते हैं कि आम बच्चों की तरह चांद-सितारे उन्हें बेहद आकर्षित करते थे। अमेरिका के होस्टन में नासा का जॉनसन स्पेस सेंटर है।

घर भी इसी स्पेस सेंटर के नजदीक था। ऐसे में सिरिशा वहां कई बार फील्ड विजिट पर गईं। इस दौरान अंतरिक्ष में उनकी रुचि बढ़ती गई। सिरिशा के परिवार में बड़ी बहन प्रत्यूशा अमेरिका में ही बायोलॉजिकल साइंस टेक्नीशियन हैं। सिरिशा अक्सर छुटि्टयां बिताने के लिए परिवार के साथ भारत आती हैं।

वर्जिन में छह साल में मिले तीन प्रमोशन, यूथ स्टार अवॉर्ड मिला
सिरिशा ने 2011 में एयरोनॉटिकल और एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीएस की डिग्री हासिल की। 2015 में वर्जिन गैलेक्टिक में बतौर गवर्मेंट अफेयर्स जॉइन किया। इसके बाद वर्जिन ऑर्बिट में तीन साल अलग-अलग पदों पर रहीं। जनवरी 2021 में वह वर्जिन गैलेक्टिक के सरकारी मामलों की वाइस प्रेसिडेंट चुनी गई हैं।

छह साल में उन्हें तीन प्रमोशन मिले। वह कमर्शियल स्पेसफ्लाइट फेडरेशन की एसोसिएट डायरेक्टर रही हैं। सिरिशा तेलुगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका से भी जुड़ी हुई है। यह उत्तरी अमेरिका का सबसे पुराना और बड़ा इंडो-अमेरिकन संगठन है। कुछ साल पहले ही इसी संस्था ने सिरिशा को यूथ स्टार अवॉर्ड सेे नवाजा था।

स्कूल में पता चल गया था, नासा नहीं जा पाएंगी
सिरिशा बताती हैं कि उन्होंने हमेशा से ही अंतरिक्ष में कॅरिअर बनाने का सपना देखा। लेकिन दसवीं में पता चला कि आंखों की रोशनी कमजोर है और नासा में इंजीनियर या पायलट नहीं बन सकतीं। लेकिन 2004 में स्पेसशिप वन एयरक्राफ्ट के एक्स प्राइज जीतने के बारे में पता चला। सिरिशा कहती हैं कि उस समय उन्हें अंतरिक्ष में जाने का प्लान बी मिल गया।

स्नातक के बाद एक रक्षा कंपनी में नौकरी करने गईं। फिर कमर्शियल स्पेसफ्लाइट फेडरेशन में नौकरी के बारे में पता चलता। ये निजी अंतरिक्ष कंपनियों का संघ है। इसमें उन्होंने बतौर इंटर्न नौकरी शुरू की। सिरिशा कहती हैं अब स्पेस में जाने के लिए इंजीनियर बनने की जरूरत नहीं है।

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