कोरोना से ठीक हुए बच्चों में डेवलप हुआ हेपेटाइटिस: PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर्स ने MP के चिकित्सकों के साथ की रिसर्च, खुलासा- कोविड से रिकवरी के बावजूद लीवर की बीमारी से हुए ग्रस्त

कोरोना से ठीक हुए बच्चों में डेवलप हुआ हेपेटाइटिस: PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर्स ने MP के चिकित्सकों के साथ की रिसर्च, खुलासा- कोविड से रिकवरी के बावजूद लीवर की बीमारी से हुए ग्रस्त

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चंडीगढ़एक घंटा पहले

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कोरोना से ठीक हुए बच्चों में डेवलप हुआ हेपेटाइटिस: PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर्स ने MP के चिकित्सकों के साथ की रिसर्च, खुलासा- कोविड से रिकवरी के बावजूद लीवर की बीमारी से हुए ग्रस्त

कोरोना से ठीक हो चुके बच्चों में हेपेटाइटिस के लक्षण पाए गए हैं। प्रतीकात्मक फोटो

बच्चों में कोविड कॉम्पलिकेशंस पर की गई एक स्टडी में सामने आया है कि उन्हें हेपेटाइटिस भी था। पोस्ट कोविड कॉम्पलिकेशन में हालांकि पहली और दूसरी लहर में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MISC) सबसे आम था, लेकिन हाल ही में हुई एक रिसर्च में कोविड से ठीक हुए उन बच्चों में लीवर की बीमारी पाई गई, जिनमें पहले ऐसे कोई लक्षण नहीं थे।

PGI चंडीगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ वायरोलॉजी में प्रोफेसर एंड हेड डॉ. आरके राठो ने मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के साथ मिलकर ये स्टडी की है। डॉ. राठो के अलावा डॉ. सुमित कुमार रावत, डॉ. अजीत आनंद असती और डॉ. आशीष जैन ने एक प्री प्रिंट में अपने इस काम को पब्लिश किया है।

दूसरी लहर के दौरान ठीक हुए बच्चों में दिखे लक्षण
मध्यप्रदेश के मेडिकल सेंटर में अप्रैल 2021 से जून 2021 के बीच एक फॉलोअप ऑब्जर्वेशनल स्टडी के रूप में डॉक्टरों ने अक्यूट हेपेटाइटिस से पीड़ित 4 से 14 साल के 33 पीडिएट्रिक मरीजों की जांच की और पाया कि कोरोनो संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान बच्चों के एक ग्रुप में हेपेटाइटिस की लक्षणों में अचानक वृद्धि देखी गई। इन बच्चों को यह इंफेक्शन खराब पानी या खाने की वजह से नहीं, बल्कि कोरोना के दौरान ही हुआ था।

हेपेटाइटिस के लक्षणों वाले बच्चे नहीं थे कोरोना के गंभीर मरीज
हेपेटाइटिस के लक्षणों वाले बच्चे कोरोना के गंभीर मरीज नहीं थे बल्कि ये माइल्ड और ए-सिंप्टोमेटिक मरीज थे। जबकि बच्चों के एक अन्य छोटे ग्रुप में बच्चों के कई अंगों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम जैसे लक्ष्ण पाए गए थे। जिन 33 मरीजों में हेपेटाइटिस पाया गया, उनमें से 25 में हेपेटाइटिस (CAHC) से संबंधित मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण पाए गए। इनमें नॉर्मल से बॉर्डरलाइन इंफ्लामेट्री मार्कर्स थे और जनरल केयर वार्ड में दाखिल होने के बाद सभी बिना किसी कॉम्पलिकेशन या सुपोर्टिव ट्रीटमेंट के ठीक हो गए। जबकि MISC में बच्चों को क्रिटिकल केयर में एडमिशन की जरूरत होती है।

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