कोरोना माता मंदिर केस: सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर गिराने को मौलिक अधिकारों पर हमला बताने वाली याचिका खारिज की; कहा- इसने कोर्ट का समय बर्बाद हुआ
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नई दिल्ली14 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना माता के मंदिर को गिराए जाने के खिलाफ एक याचिका दायर खारिज कर दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका दायर करने वाली महिला पर 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे मामले कोर्ट का समय बर्बाद करते हैं।
क्या था मामला-
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में दीपमाला श्रीवास्तव ने अपने पति लोकेश कुमार श्रीवास्तव के साथ मिलकर यह मंदिर बनवाया था, जिसे 4 दिन बाद ही गिरा दिया गया। इसके बाद दीपमाला श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने मौलिक अधिकार के हनन होने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट को इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क-
जस्टिस एसके कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने कहा कि मंदिर विवादित जमीन पर बना हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलील ये है कि यह उसकी निजी जमीन है और इस पर स्थानीय नियमों के मुताबिक निर्माण किया गया है, तो उसने कोई उचित कानूनी कदम नहीं उठाया। इससे पहले तक याचिकाकर्ता ने अन्य संक्रामक रोगों के नाम का मंदिर नहीं बनवाया था, जिससे देश के लोग संक्रमित हैं। यह जमीन पहले से विवादित थी। इसके बारे में पुलिस में शिकायत भी दर्ज की गई भी।
कोर्ट का फैसला-
बेंच ने कहा कि हमारा मानना है यह भारत के संविधान के आर्टिकल 32 के तहत कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है। इसलिए इस याचिका को खारिज किया जा रहा है। इस 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जा रहा है जिसे चार हफ्तों के अंदर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के पास रिकॉर्ड वेलफेयर फंड के तहत जमा कराया जाना होगा।
आरोप-प्रत्यारोप जारी-
गांव वालों का कहना है कि मंदिर को पुलिस ने गिराया था। पुलिस ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा था कि यह मंदिर विवादित जमीन पर बना था और विवाद में पड़ी पार्टियों में से किसी ने इसे गिराया था। गांव वालों ने यह भी बताया कि लोकेश कुमार श्रीवास्तव ने गांव वालों से चंदा लेकर इस मंदिर का निर्माण किया था। इसके बाद इसमें कोरोना माता की मूर्ति लगाई गई। राधे श्याम वर्मा को मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया, जिसके बाद यहां पर लोगों ने पूजा करना शुरू किया।
लोकेश नोएडा में रहते हैं और नागेश कुमार श्रीवास्तव और जय प्रकाश श्रीवास्तव के साथ इस जमीन के मालिक हैं। मंदिर बनवाने के बाद वे नोएडा लौट गए। नागेश ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराकर कहा था कि मंदिर का निर्माण जमीन को हड़पने के लिए किया गया था।
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