कोरोना का डेल्टा वैरिएंट: अल्फा से 60% ज्यादा संक्रामक है, दूसरी लहर में इसी ने मचाई थी तबाही; अब भी देश में 80% से ज्यादा केस इसी के
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नई दिल्ली2 मिनट पहले
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स्पाइक प्रोटी में म्यूटेशन की वजह से ज्यादा संक्रामक हुआ डेल्टा वैरिएंट।
कोरोना का डेल्टा वैरिएंट, जिसने अप्रैल-मई में देश में तबाही मचा दी थी, वह अल्फा वैरिएंट से 40-60% ज्यादा संक्रामक है। इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट ही देश में कोरोना की दूसरी लहर लेकर आया था और अब कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। ऐसे में इसका खतरा टला नहीं है। देश में मौजूद वैक्सीन इसके खिलाफ असरदार हैं।
कोरोना वायरस पर सरकार के बनाए इस कंर्सोटियम के सह-अध्यक्ष डाॅ. एनके अरोड़ा ने बताया कि, कोरोना के वैरिएंट B.1.617.2 को डेल्टा वैरिएंट कहा जाता है। यह सबसे पहले अक्टूबर 2020 में भारत में मिला था और दूसरी लहर लाने में इसका बड़ा हाथ था। आज भी देश में मौजूद 80% केस इसी के हैं। यह इससे पहले वाले वैरिएंट (अल्फा वैरिएंट) से 40-60% ज्यादा संक्रामक है और 80 से ज्यादा देशों तक फैल चुका है।
देश के 11 राज्यों में डेल्टा प्लस के मामले
उन्होंने बताया कि अब तक देश के 11 राज्यों के 55-60 केस में डेल्टा प्लस वैरिएंट- AY.1 और AY.2- पाया गया है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश शामिल है। नेपाल, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, पोलैंड, जापान जैसे देशों में भी AY.1 वैरिएंट पाया गया है। AY.2 से जुड़े कम मामले सामने आए हैं।
म्यूटेट होकर ज्यादा संक्रामक बना
डेल्टा वैरिएंट के साथ जुड़े म्यूटेशन के बारे में डॉ. अरोड़ा ने बताया कि, डेल्टा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन हुए हैं, जिसकी वजह से यह सेल्स की सतह पर मौजूद ACE2 रिसेप्टर्स से आसानी से जुड़ जाता है। इससे यह ज्यादा संक्रामक हो जाता है और आसानी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच जाता है।
तेजी से होता है रेप्लीकेट
यह तेजी से रेप्लीकेट होता है और फेफड़ों जैसे कई अंगों में इसके चलते सूजन आ जाती है। हालांकि यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि डेल्टा वैरिएंट की वजह से कोरोना ज्यादा घातक हो गया है। दूसरी लहर के दौरान भारत में जो मौतें हुई वैसी ही मौतें दुनिया के कई देशों में पहली लहर में भी देखी गई थीं।
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