कैसे भरेगा यह गैप: कोरोनाकाल में 15 राज्यों के 56% बच्चे बिना पढ़े प्रोमोट हो गए, ग्रामीण क्षेत्रों में 37% और शहर में 19% बच्चे ऑनलाइन नहीं पढ़ सके

कैसे भरेगा यह गैप: कोरोनाकाल में 15 राज्यों के 56% बच्चे बिना पढ़े प्रोमोट हो गए, ग्रामीण क्षेत्रों में 37% और शहर में 19% बच्चे ऑनलाइन नहीं पढ़ सके

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नई दिल्ली5 घंटे पहले

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कैसे भरेगा यह गैप: कोरोनाकाल में 15 राज्यों के 56% बच्चे बिना पढ़े प्रोमोट हो गए, ग्रामीण क्षेत्रों में 37% और शहर में 19% बच्चे ऑनलाइन नहीं पढ़ सके

स्कूल चिल्ड्रेंस ऑनलाइन एंड ऑफनाइल लर्निंग सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल बंद होने का बड़ा नुकसान यह हुआ है कि 75% बच्चों की पढ़ने की क्षमता घट गई।

कोरोना के मामलों में कमी के साथ ही कई राज्यों में स्कूल खुलने लगे हैं। इस बीच, 15 राज्यों में हुए एक सर्वे से पता चला कि वहां 56% बच्चे ऐसे हैं जो साधन और सुविधाएं न होने से ऑनलाइन पढ़ाई ही नहीं कर सके। वहीं, जनरल प्रमोशन होने से ये बच्चे बिना पढ़े अगली क्लास में प्रमोट हो गए।

ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती यह कि बिना पढ़े प्रमोट हुए बच्चे पढ़ाई की प्रतिस्पर्धा में कैसे टिक पाएंगे। शिक्षाविदों का कहना है कि अगर ऐसे बच्चों की पढ़ाई की विशेष व्यवस्था न हुई तो वे पिछड़ते ही जाएंगे। सर्वे वाले राज्यों में से कुछ में ऐसे बच्चों के लिए अलग व्यवस्था हुई है, लेकिन इसका जमीनी स्तर पर उतरना अभी दूर की कौड़ी लग रहा है।

स्कूल चिल्ड्रेंस ऑनलाइन एंड ऑफनाइल लर्निंग सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल बंद होने का बड़ा नुकसान यह हुआ है कि 75% बच्चों की पढ़ने की क्षमता घट गई। शहरी इलाकों में 19% और ग्रामीण इलाकों में 38% बच्चे ऐसे हैं जो बिल्कुल भी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर रहे।

ग्रामीण इलाकों में 8% और शहरी इलाकों में 24% बच्चे ही नियमित ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। इसका बड़ा कारण स्मार्ट फोन न होना है। ऐसे बच्चे भी नियमित पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, जिनके परिवार में सिर्फ एक स्मार्ट फोन है जिसका इस्तेमाल परिवार के कामकाजी सदस्य करते हैं।

विशेषज्ञ ने कहा- पांचवीं में पहुंच गए, पर स्तर दूसरी-तीसरी का है
सर्वे टीम की सदस्य और IIT दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर रितिका खेड़ा कहती हैं कि जो बच्चा लॉकडाउन से पहले तीसरी में भर्ती हुआ था वह पांचवीं में पहुंचा गया लेकिन उसकी पढ़ाई का स्तर पहली या दूसरी क्लास का है। जिन बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा थी वे आगे निकल गए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों को अपने-अपने बोर्ड में ब्रिज कोर्स शुरू करना चाहिए जिससे बच्चे मौजूदा क्लास के साथ छूटी पढ़ाई कर सकें।

पढ़ाई का गैप खत्म करना जरूरी
NCERT के पूर्व डायरेक्टर जेएस राजपूत ने बताया कि साधन और सुविधाओं को लेकर समाज में गैप कोरोनाकाल में बढ़ा है, आगे और बढ़ेगा। सरकार के स्तर पर व्यवस्था होनी चाहिए, पर समय लगेगा, लेकिन तत्काल पहल की जरूरत है। शिक्षकों को स्कूलों में बच्चों की जरूरत के मुताबिक अतिरिक्त समय देना चाहिए। रिटायर्ड शिक्षक या अन्य जो नि:शुल्क पढ़ाना चाहें उन्हें रखने का अधिकार प्रिंसिपल को मिलना चाहिए।

6 राज्यों में शुरू हुआ ब्रिज कोर्स

  • राजस्थान: ई-कक्षा, आओ घर से सीखें और स्माइल कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • बिहार: 3 माह का कैचअप कोर्स।
  • छत्तीसगढ़: सभी कक्षाओं के लिए सेतु पाठ्यक्रम अनिवार्य कर प्रशिक्षण शुरू।
  • झारखंड: मोहल्ला स्कूल और टैब वितरण कर प्रशिक्षण दिए जाने की योजना लागू।
  • UP: अतिरिक्त कक्षाएं तीन भागों में शुरू की गईं ताकि गैप पूरा हो सके।
  • गुजरात: सैटेलाइट टीवी चैनल से प्रशिक्षण

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