केरल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा: सदन में बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं कि उसकी संपत्ति को नष्ट करें
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नई दिल्ली37 मिनट पहले
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा, विधानसभा कार्यवाही की मर्यादा जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधानसभा में तोड़फोड़ करने वाले छह वामपंथी विधायकों के खिलाफ केस वापस लेने की राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “विधायकों को सदन में बोलने की स्वतंत्रता है, मगर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि वे इस अधिकार की आड़ में सदन की संपत्ति को नष्ट कर दें।’
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने 12 मार्च को राज्य सरकार को विधानसभा में तोड़फोड़ करने वाले छह माकपा विधायकों से केस वापस लेने की अनुमति देने से इनकार किया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा, विधानसभा कार्यवाही की मर्यादा जरूरी है।
मार्च 2015 में विधायकों ने जो किया उसके लिए वे संविधान के अनुच्छेद 194 के तहत विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षा संरक्षण का दावा नहीं कर सकते। यह सदन के नेताओं काे आपराधिक कानून से छूट नहीं दिला सकता। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, यह स्टेटस सिंबल नहीं, जो विधायकों को अन्य नागरिकों की तुलना में उच्च पायदान पर रखता है।
तोड़फोड़ सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं : कोर्ट
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “आपराधिक कानून की कार्यवाही जारी रहनी चाहिए। हंगामे और तोड़फोड़ को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं माना जा सकता। यह मामला वापस लिया तो विधायिका के सदस्यों को आपराधिक कानून से छूट मिल जाएगी। ऐसे में केस वापस लेने की अनुमति देना न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप जैसा होगा। विधायकों का व्यवहार अस्वीकार्य है, इन्हें माफ नहीं किया जा सकता।’
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