किसी सैन्य अफसर की ऐसी अंतिम विदाई पहली बार: दिल्ली की सड़कों पर उतरी जनता, फूल बरसाए, शव वाहन के साथ दौड़ते रहे.. देखें तस्वीरें
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नई दिल्ली2 घंटे पहले
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अपनी पत्नी के साथ आज परमात्मा में लीन हो गए। राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली कैंट में शाम 4:56 बजे जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका को एक ही चिता पर दोनों बेटियों कीर्तिका और तारिणी ने एक साथ मुखाग्नि दी। जनरल का अंतिम सफर देश और सेना के लिए दिए गए उनके योगदान और उनसे जुड़ी लोगों की भावनाओं को बयां कर रहा था। तस्वीरों में देखिए जनरल बिपिन रावत का आखिरी सफर…
जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका का शव शुक्रवार सुबह 11 बजे दिल्ली स्थित उनके घर लाया गया। न सिर्फ सेना के अफसर-जवान, बल्कि सिविलियंस भी सैल्यूट करते नजर आए।
जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत को श्रद्धांजलि देते राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेता।
राहुल गांधी ने जनरल बिपिन रावत और मधुलिका की दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी से मिलकर उन्हें सांत्वना दी।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी रावत को श्रद्धांजलि दी।
जनरल बिपिन रावत और मधुलिका के परिजनों समेत हर भारतवासी के आंसू शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे थे।
जनरल रावत की बड़ी बेटी कृतिका ने अपने मासूम बेटे के हाथ में फूल देकर नाना-नानी के पार्थिव शरीर को समर्पित करने के लिए कहा। दुख भरे माहौल से अनजान मासूम फूलों से ही खेलने लगा।
जनरल रावत के घर के बाहर उन्हें श्रद्धांजलि देने देशभर से लोग पहुंचे थे। घर के बाहर लंबी कतार थी। जो अंतिम दर्शन नहीं कर पाए, वे बाहर ही लगी तस्वीरों पर फूल-माला चढ़ाने लगे।
शाम करीब 4 बजे जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका की पार्थिव देह अंतिम संस्कार के लिए पूरे सम्मान के साथ बराड़ स्क्वायर ले जाते हुए सैनिक ।
जनरल रावत और मधुलिका के अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हर कोई अपने योद्धा को विदाई देने आया था।
जनरल रावत की पार्थिव देह को तोप गाड़ी में बराड़ स्क्वायर तक ले जाया गया। इस दौरान लोग वाहन के साथ दौड़ लगाते रहे। शहीद के सम्मान में नारे भी लगाए गए।
जनरल रावत की पार्थिव देह को जब उनके घर से अंतिम संस्कार के लिए बराड़ स्क्वायर ले जाया जा रहा था, तब घर के बाहर भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई उन्हें निहार रहा था।
जनरल रावत के अंतिम संस्कार के लिए उनकी पार्थिव देह से तिरंगा हटाया गया। इस तिरंगे को उनकी दोनों बेटियों कीर्तिका और तारिणी को ससम्मान सौंपा गया।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार के दौरान सभी रस्मों और रिवाजों को पूरा किया गया। दोनों बेटियों ने माता-पिता के शव पर चंदन का लेप लगाया।
दोनों बेटियों ने मां और पिता की पार्थिव देह पर चंदन और घी डालने की रस्में पूरी कीं।
जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका को एक ही चिता पर दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी ने एक साथ मुखाग्नि दी। इस दौरान पूरा माहौल शहीद के सम्मान में नारों से गूंज उठा।
जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई। इस दौरान 800 जवान मौजूद थे। तीनों सेनाओं का बिगुल बजाया गया। साथ ही सेना के बैंड ने शोक गीत भी गाया।
माता-पिता के जलते शवों को देखकर दोनों बेटियां खुद को संभाल नहीं पाईं। परिजन बार-बार उन्हें गले लगाकर और आंसू पोंछकर चुप करवा रहे थे।
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