काशी में मोदी का मेगा शो: कारीगरों पर पुष्पवर्षा, गलियों में चहलकदमी, भोजपुरी-हिंदी में 46 मिनट की स्पीच; वेद मंत्र से लेकर लोकतंत्र का जिक्र

काशी में मोदी का मेगा शो: कारीगरों पर पुष्पवर्षा, गलियों में चहलकदमी, भोजपुरी-हिंदी में 46 मिनट की स्पीच; वेद मंत्र से लेकर लोकतंत्र का जिक्र

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33 मिनट पहले

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काशी में मोदी का मेगा शो: कारीगरों पर पुष्पवर्षा, गलियों में चहलकदमी, भोजपुरी-हिंदी में 46 मिनट की स्पीच; वेद मंत्र से लेकर लोकतंत्र का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्धाटन किया। गंगा में जल अर्पित किया, काशी का गलियों में चहलकदमी की, बाबा विश्वनाथ की पूजा की और उनका धाम बनाने वाले कारीगरों पर खुद पुष्पवर्षा की।

46 मिनट की स्पीच दी तो उसमें भोजपुरी भी थी और हिंदी भी। काशी का जिक्र था तो कांजीपुरम का भी। इस स्पीच में मोदी ने वेद मंत्र भी पढ़े तो लोकतंत्र का भी जिक्र किया। जनता को संकल्प दिलाए तो यह भी बताना नहीं भूले कि पूरे देश का स्वरूप धारण किए काशी में कोई भी बिना महादेव की मर्जी के नहीं आता, जो होता है, वो महादेव की मर्जी से ही होता है। पढ़िए मोदी की स्पीच के हाईलाइट्स…

भोजपुरी में सभी का स्वागत, मंत्रों से काशी का गुणगान

“बाबा विश्वनाथ के चरणों में हम शीश नवावत हैं। माता अन्पूर्णा के चरणन के बार-बार वंदन करत हैं।”

“गंगा तरंग रमणीय जटा कलापम् गौरी निरंतर विभूषित वामभागम्, नारायण प्रिय मनंग मदाप हारम् वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाथम्।”

“ई विश्वनाथ धाम तो बाबा अपने हाथ से बनैले हन। कोई कितना बड़ा हवै तो अपने घरै के होइहै। उ कहिए तबै कोई आ सकेला और कछु कर सकैला।”

विश्वनाथ धाम के नए स्वरूप का जिक्र
मोदी ने जब स्पीच दी, तो उन्होंने बताया कि किस तरह रहे विश्वनाथ धाम का नया स्वरूप किस तरह से लोगों के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने कहा, “जब लोग बाबा की पूजा करेंगे तो मां गंगा की स्नेहिर हवा उन्हें स्नेह देगी। उन्होंने कहा कि नाव से लेकर मंदिर में आने तक बड़े बुजुर्गों को सुविधा होगी। जेटी है, एक्सेलेटर हैं, मंदिर में इतनी जगह है, जहां 60-70 हजार श्रद्धालु पूजा कर सकेंगे। 3 हजार वर्गफीट में फैला मंदिर अब 5 लाख वर्गफीट का हो गया है।

काशी के संकल्प के सहारे विपक्ष पर निशाना
मोदी ने कहा, “जब मैं बनारस आया था तो अपने से ज्यादा भरोसा बनारस के लोगों पर था। कुछ लोग बनारस के लोगों पर संदेह करते थे। कैसे होगा, होगा ही नहीं, यहां तो ऐसे ही चलता है, मोदी जैसे बहुत आकर गए। राजनीति थी, स्वार्थ था इसलिए बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे, लेकिन काशी तो काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथ में डमरू है, उनकी सरकार है। भगवान शंकर ने खुद कहा है कि बिना मेरी प्रसन्नता के काशी में कौन आ सकता है, कौन इसका सेवन कर सकता है। काशी में महादेव की इच्छा के बिना आता है और न उनकी इच्छा के बिना कुछ होता है। यहां जो कुछ होता है महादेव की इच्छा से होता है। ये जो कुछ भी हुआ है, महादेव ने ही किया है।”

प्रधानमंत्री बोले कि मैं आज अपने हर श्रमिक भाईबहनों का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में रहा है। कोरोना के इस विपरीत काल में भी उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। मुझे अभी इन साथियों से मिलने का अवसर मिला। उनका आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला।

काशी के चरित्र से कट्टरपंथ पर निशाना
मोदी ने कहा, “काशी के लोग एकता की याद दिला देते हैं। वारेन हेंस्टिंग्स का क्या हाल काशी के लोगों ने किया था। काशी के लोग समय-समय पर बोलते हैं कि घोड़े पर हौदा और हाथी पर जिन जान लेकर भागल बाटें हेंस्टिंग्स। आज समय का चक्र देखिए आतंक के वो पर्याय इतिहास के काले पन्नों तक सिमट कर रह गए हैं। मेरी काशी फिर से देश को अपनी भव्यता दे रही है। काशी वो है, जहां जागृति ही जीवन है। काशी वो है, जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है, जहां सत्य ही संस्कार है। जहां प्रेम ही परंपरा है।”

बनारस को पूरे देश से जोड़ दिया
प्रधानमंत्री ने बनारस को सिर्फ पूर्वांचल या यूपी तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने इसे पूरे देश से जोड़ दिया। बोले- शिव शब्द का चिंतन करने वाले शिव को ही ज्ञान कहते हैं इसलिए ये काशी शिवमयी है और ज्ञानमयी है। ज्ञान, शोक, अनुसंधान काशी और भारत के लिए स्वाभाविक है। शिव ने स्वयं कहा है कि धरती के सभी क्षेत्रों में काशी मेरा ही शरीर है। यहां का हर पत्थर शंकर है इसलिए हम अपनी काशी को सजीव मानते हैं। इसी भाव से हमें अपने देश के कण-कण में मातृभाव का बोध होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का निर्माण करने वाले मजदूरों के साथ भोजन किया। कहा कि 100 साल बाद माता अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी में वापस आ गई है। कोरोना के समय काशीवासियों ने अन्न के भंडार खोल दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का निर्माण करने वाले मजदूरों के साथ भोजन किया। कहा कि 100 साल बाद माता अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी में वापस आ गई है। कोरोना के समय काशीवासियों ने अन्न के भंडार खोल दिए।

जिस तरह काशी अनंत है, वैसे ही उसका योगदान अनंत है। इस विकास में भारत की अनंत परंपराएं शामिल हैं। हर भाषा और वर्ग के लोग यहां आते हैं और अपना जुड़ाव महसूस करते हैं। काशी भारत की आत्मा का एक जीवंत अवतार भी है। मेरा पुराना अनुभव है कि हमारे घाट पर रहने वाले नाव चलाने वाले कई बनारसी साथी तो तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नण फर्राटेदार बोलते हैं। ये भी सिर्फ संयोग नहीं है कि जब काशी ने करवट ली है कुछ नया किया है, देश का भाग्य बदला है।

आस्था के जरिए विकास का जिक्र
मोदी ने कहा, “विश्वनाथ धाम का लोकार्पण भारत को नई दिशा देगा, उज्ज्वल दिशा की ओर ले जाएगा। ये हमारे संकल्प का परिचायक है कि अगर सोच लिया जाए तो असंभव कुछ नहीं। हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो कल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप और तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन-रात खपना जानते हैं। गुलामी के कालखंड में भारत को जिस हीन भावना से भर दिया गया था, आज का भारत उससे बाहर निकल रहा है। भारत सोमनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण ही नहीं करता, समंदर में हजारों किलोमीटर ऑप्टीकल फाइबर बिछा रहा है। केदारनाथ का जीर्णोद्धार ही नहीं कर रहा, अपने दम पर अंतरिक्ष में लोगों को भेज रहा है। राम मंदिर का निर्माण ही नहीं कर रहा, देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज बना रहा है। विश्वनाथ का निर्माण ही नहीं कर रहा, हर गरीब के लिए पक्के घर बना रहा है। नए भारत में विरासत भी है और विकास भी है।”

काशीवासियों के सहारे देश से मांगे 3 संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने काशीवासियों के साथ-साथ पूरे देश से 3 संकल्प भी मांगे। उन्होंने कहा, “मेरे लिए हर भारतवासी ईश्वर का ही अंश है। जैसे सब लोग भगवान के पास जाकर मांगते हैं, जब मैं आपको भगवान मानता हूं तो मैं आज आपसे कुछ मांगता हूं। अपने लिए नहीं, हमारे देश के लिए तीन संकल्प चाहता हूं। भूल मत जाना। बाबा की पवित्र धरती से मांग रहा हूं। पहला- स्वच्छता, दूसरा- सृजन और तीसरा- आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। स्वच्छता जीवनशैली होती है, अनुशासन होती है, ये अपने साथ कर्तव्यों की श्रृंखला लेकर आती है। जितना ही विकास क्यों न करें, स्वच्छ नहीं रहेगा तो आगे बढ़ पाना मुश्किल होगा। अपने प्रयास बढ़ाने होंगे।”

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