कर्नाटक में बेजुबानों से हैवानियत: शिवमोगा में जिंदा दफनाए गए 100 से ज्यादा कुत्ते, कुछ को जहर देने की भी आशंका; ग्राम पंचायत सदस्यों पर शक

कर्नाटक में बेजुबानों से हैवानियत: शिवमोगा में जिंदा दफनाए गए 100 से ज्यादा कुत्ते, कुछ को जहर देने की भी आशंका; ग्राम पंचायत सदस्यों पर शक

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बेंगलुरुएक घंटा पहले

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कर्नाटक में बेजुबानों से हैवानियत: शिवमोगा में जिंदा दफनाए गए 100 से ज्यादा कुत्ते, कुछ को जहर देने की भी आशंका; ग्राम पंचायत सदस्यों पर शक

यह घटना शिवमोगा जिले के रंगपुरा गांव में हुई है। गांव के लोगों ने ही इसकी जानकारी एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट को दी। -फाइल फोटो

कर्नाटक के शिवमोगा जिले के रंगपुरा गांव में जंगल के पास कई कुत्तों के शव मिले हैं। शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि इन्हें जहर देकर मारा गया है। हालांकि, अब तक मौत का सही कारण साफ नहीं हो पाया है। पुलिस ने मरने वाले कुत्तों की सही संख्या नहीं बताई है, लेकिन 100 से ज्यादा शव बरामद होने की बात सामने आई है। यह घटना 4 सितंबर की बताई जा रही है।

पुलिस के जब शवों की खोज की, तब उनकी हालत काफी खराब हो चुकी थी। ऐसे में मौत का सही कारण पता लगाना मुश्किल हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि बॉडी इतनी सड़ गई थी कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट भी मौत का कारण पता नहीं लगा पाए। मामले में भद्रावती पुलिस स्टेशन में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत शिकायत दर्ज की गई।

ग्राम पंचायत के लोगों के शामिल होने की आशंका
पुलिस को शक है कि इस घटना के पीछे ग्राम पंचायत के सदस्य शामिल हो सकते हैं। यहां के लोगों ने अपने इलाके में कुछ संदिग्ध गतिविधि देखी तो इसकी सूचना पशुओं के लिए काम करने वाले एक ग्रुप को दी।

गांव के लोगों ने फोन पर दी जानकारी
शिवमोगा एनिमल रेस्क्यू क्लब के मेंबर जीएस बसवा प्रसाद ने बताया कि उन्हें तीन दिन पहले गांव के लोगों ने फोन करके घटना के बारे में बताया था। उन्होंने बताया था कि 150-200 कुत्तों को जिंदा दफनाया गया है। खबर मिलते ही हमारी टीम ने वहां जाकर जांच की। बसवा के मुताबिक, हमें पता चला कि इसके पीछे ग्राम पंचायत के अध्यक्ष, सदस्य और पंचायत डेवलपमेंट ऑफिसर का हाथ है।

कुत्तों को मारने के लिए प्राइवेट फर्म को हायर किया
एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट का कहना है कि ग्राम पंचायत ने कुत्तों को मारने के लिए प्राइवेट फर्म को हायर किया था। इस दौरान कुछ कुत्तों को तो जिंदा ही दफना दिया गया। कार्यकर्ताओं के मुताबिक, इस मामले में तय प्रक्रिया यह कहती है कि गांववालों को पशु जन्म नियंत्रण के लिए आवेदन करना चाहिए था। इसमें ऑपरेशन शामिल होते हैं, जहां जानवरों को मेडिकल सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती हैं।

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