करनाल में लघु सचिवालय के बाहर डटे किसान: प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की सहमति से मुख्य गेट आम जनता के लिए खोला, सड़क पर भी एक ओर से वाहनों की आवाजाही शुरू

करनाल में लघु सचिवालय के बाहर डटे किसान: प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की सहमति से मुख्य गेट आम जनता के लिए खोला, सड़क पर भी एक ओर से वाहनों की आवाजाही शुरू

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करनाल35 मिनट पहले

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करनाल में लघु सचिवालय के बाहर डटे किसान: प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की सहमति से मुख्य गेट आम जनता के लिए खोला, सड़क पर भी एक ओर से वाहनों की आवाजाही शुरू

करनाल में लघु सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे किसान।

करनाल में 1000 से ज्यादा किसान जिला सचिवालय के बाहर धरने पर डटे हुए हैं और यहां लोगों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। गुरुवार को जिला प्रशासन ने किसानों की सहमति से जिला सचिवालय का मुख्य गेट आम जनता के लिए खुलवा दिया। साथ ही सड़क पर भी एक ओर से वाहनों की आवाजाही शुरू कर दी है। जिला प्रशासन ने सचिवालय गेट पर धरने पर बैठे किसानों की सहमति से यह कदम उठाया है। वहीं अभी करनाल में इंटरनेट सेवाएं और बल्क SMS सेवाएं फिलहाल बंद हैं। इससे पहले बुधवार को किसान नेताओं और पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के बीच सहमति न बन पाने के कारण सवा तीन घंटे चली वार्ता विफल हो गई थी।

पहले दौर की वार्ता में डीसी-एसपी ने प्रशासनिक टीम का नेतृत्व किया और दूसरे दौर में रेंज कमिश्नर की अगुवाई में प्रशासन ने बातचीत की। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीटिंग से बाहर निकल कर कहा था कि प्रशासनिक टीम ने हर आधे घंटे बाद चंडीगढ़ बात की। हमारी मांग थी कि IAS आयुष सिन्हा को सस्पेंड कर केस दर्ज किया जाए। प्रशासनिक टीम केस दर्ज करना तो दूर सस्पेंड करने के लिए भी तैयार नहीं है। टिकैत ने कहा कि हमारा एक मोर्चा दिल्ली बॉर्डर पर है और अब दूसरा करनाल सचिवालय पर जारी रहेगा।

बुधवार को किसानों के बीच पहुंचे थे राकेश टिकैत।

बुधवार को किसानों के बीच पहुंचे थे राकेश टिकैत।

आम आदमी का पूरा ख्याल रखेंगे
प्रशासन से वार्ता के बाद बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा था कि जिला सचिवालय पर किसान डटे रहेंगे। अफसरों को मुख्य गेट से नहीं जाने देंगे, वे चाहे किसी रास्ते या फिर दीवार कूद कर सचिवालय के भीतर जाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि यहां आने वाले आम आदमी को किसी प्रकार की परेशानी न आए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी और योगेंद्र यादव ने किसानों का पक्ष रखा।

बातचीत से समाधान की कोशिश जारी
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा था कि बातचीत से इस मसले का समाधान निकालने का प्रयास जारी है। आंदोलनकारी लाठीचार्ज करवाने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। बिना जांच के कोई कार्रवाई नहीं होगी। आंदोलनकारियों ने बैठक में आश्वासन दिया कि वह धरने को शांतिपूर्ण तरीके से चलाएंगे। उनका मकसद अपनी मांग को मनवाना है न कि कोई उपद्रव करना। प्रशासन भी धैर्य, संयम व सूझबूझ से काम ले रहा है। प्रशासन की तरफ से न्योता मिलने के बाद राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, योगेंद्र यादव और सुरेश कौथ समेत 15 किसान नेता प्रशासन से वार्ता के लिए पहुंचे थे। प्रशासन ने धरने पर बैठे किसानों को दोपहर 2 बजे वार्ता के लिए बुलाया था।

इससे पहले निर्मल कुटिया और जाट भवन होकर सचिवालय जाने वाले रास्ते पर बुधवार सुबह लगवाए बैरिकेड किसानों ने सूचना मिलने के बाद हटवा दिए थे। उधर, किसान मंगलवार की पूरी रात सचिवालय का घेराव कर बैठे रहे। बुधवार के दिन की शुरुआत भी नारेबाजी के साथ की। धरनास्थल पर किसानों ने टेंट गाड़ लिए हैं। यह उनका अनिश्चितकालीन धरना है। लघु सचिवालय के गेट पर पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस के जवान तैनात हैं। इन्हें किसानों को किसी भी कीमत पर अंदर न जाने देने के आदेश दिए गए हैं। किसानों ने भी सचिवालय में आवाजाही रोकी हुई है। उनका कहना है कि वे न तो किसी को अंदर जाने देंगे और न ही कोई काम होने देंगे। शहर में आवाजाही सुचारू रूप से बहाल कर दी गई है। अब किसी को कहीं आने-जाने में दिक्कत नहीं होगी, लेकिन लघु सचिवालय न आने की अपील की गई है, क्योंकि यहां होने वाले सभी काम बाधित हो सकते हैं।

लघु सचिवालय के बाहर तैनात पैरामिलिट्री फोर्स।

लघु सचिवालय के बाहर तैनात पैरामिलिट्री फोर्स।

लघु सचिवालय में हैं ये कार्यालय
लघु सचिवालय में डीसी, एसपी, एसडीएम, ई-दिशा केंद्र, सीएम विंडो, तहसील, ट्रेजरी, एडीसी, डीआरओ, डीडीपीओ, डीईओ, निर्वाचन आयोग, श्रमिक कार्यालय हैं। इसके अलावा बैंक, समाज कल्याण, जिला कल्याण, और रोजगार विभाग भी हैं।

करनाल में इंटरनेट सेवा बंद
प्रदेश सरकार ने फिलहाल करनाल में इंटरनेट सेवा बंद रखने का फैसला लिया है। हालांकि 8 सितंबर को बाकी सभी जिलों की इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया था। 7 सितंबर के किसान आंदोलन को देखते हुए करनाल के साथ-साथ कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत व जींद जिले की इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई थी।

क्यों कर रहे किसान आंदोलन और अब तक क्या हुआ?
28 अगस्त को पुलिस ने बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस लाठीचार्ज में घायल हुए करनाल के रायपुर जाटान गांव के किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी। इसके विरोध में किसानों ने 7 सितंबर को करनाल अनाज मंडी में महापंचायत की। 30 अगस्त को भाकियू ने घरौंडा अनाज मंडी में महापंचायत करके हरियाणा सरकार से तीन मांगें रखी थीं। साथ ही महापंचायत और लघु सचिवालय का घेराव करने की घोषणा की थी। 6 सितंबर को प्रशासन ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया, लेकिन बात नहीं बनी।

मंगलवार को महापंचायत हुई और किसानों का जमावड़ा देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को प्रशासन ने बातचीत का न्योता भेजा। दोपहर में राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी, योगेंद्र यादव व दर्शनपाल आदि के नेतृत्व में 15 सदस्यीय कमेटी लघु सचिवालय पहुंची। 3 दौर की वार्ता के दौरान किसान नेता सिर फोड़ने का आदेश देने वाले तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के निलंबन पर अड़ गए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद बलबीर सिंह राजेवाल के आदेशों के बाद किसानों ने लघु सचिवालय की ओर कूच किया।

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