ऑपरेशन खुकरी-एक ऐसा इतिहास जो दबाया गया था: जब 16 देशों की शांति सेना ने डाल दिए थे हथियार तो हम भारतीयों ने लिया था आतंकियों से लोहा, मेजर जनरल की किताब ने खोला राज

ऑपरेशन खुकरी-एक ऐसा इतिहास जो दबाया गया था: जब 16 देशों की शांति सेना ने डाल दिए थे हथियार तो हम भारतीयों ने लिया था आतंकियों से लोहा, मेजर जनरल की किताब ने खोला राज

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हिसार14 मिनट पहले

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ऑपरेशन खुकरी-एक ऐसा इतिहास जो दबाया गया था: जब 16 देशों की शांति सेना ने डाल दिए थे हथियार तो हम भारतीयों ने लिया था आतंकियों से लोहा, मेजर जनरल की किताब ने खोला राज

हिसार में अपनी पत्नी अनीता और बेटी दामिनी के साथ मेजर जनरल राजपाल पूनिया।

  • पश्चिमी अफ्रीका के सियरा लियोन शहर में 2002 में गोरखा रेजिमेंट ने चलाया था RUF के खिलाफ ऑपरेशन

आज से 19 साल पहले जब 16 देशों की शांतिसेना ने रेवोल्यूशनरी यूनाइटेड फ्रंट (RUF) के आतंकियों के आगे घुटने टेक दिए थे, तब सिर्फ भारतीय सेना ही थी, जिसने 150 आतंकी मार गिराया था। हालांकि एक फौजी शहीद भी हो गया था। बात अफीका के सियरा लियोन में 2000 में आतंकियों की वजह से बिगड़े हालात की है, जिस पर भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट ने ऑपरेशन खुकरी चलाया था और जीत हासिल की थी। अभी तक इस खास ऑपरेशन में भारतीय सेना की बहादुरी को छिपाया या दबाया गया था, लेकिन यह राज बाहर आ चुका है। यह खुलासा ऑपरेशन खुकरी के कंपनी कमांडर रहे मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने किया है। उन्होंने इस ऑपरेशन पर अपनी बेटी दामिनी पूनिया के साथ ऑपरेशन खुकरी नाम से किताब लिखी है।

ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना के जवान।

ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना के जवान।

शांति स्थापना के लिए गई थी 17 देशों की टुकड़ियां
मेजर जनरल राजपाल पूनिया मूल रूप से राजगढ़ के रहने वाले हैं। हिसार आर्मी कैंट में जीओसी रहते हुए इन्होंने सिरसा का डेरा सच्चा सौदा खाली करवाने का भी ऑपरेशन सफल किया था। मेजर जनरल पूनिया ने बताया कि 19वीं सदी के आखिर में और 20वीं सदी की शुरुआत में सिएरा लियोन अपने देश के अंदर ही देश विरोधी आतंकी संगठन RUF से लड़ रहा था और गृहयुद्ध की स्थिति थी। ऐसे में यूएन ने दिसम्बर 1999 में 17 देशों की सैनिक टुकड़ियां इस देश में शांति स्थापना के लिए भेजी थी। इनमें पाकिस्तान, ब्रिटेन, भारत, केन्या, कनाडा, नाइजीरिया, घाना समेत 17 देशों की टुकड़ियां शामिल थी।

केन्या की टुकड़ी द्वारा की गई फायरिंग से बिगड़ी बात
पूनिया के अनुसार RUF के आतंकी शांतिसेना के आगे सरेंडर करने ही वाले थे, लेकिन केन्या की एक टुकड़ी ने उन पर फायरिंग कर दी। इससे 16 आतंकी मारे गए और पूरा मामला बिगड़ गया और आतंकियों ने वहां पर आई सभी 17 देशों की टुकडियों को घेर लिया। आतंकियों ने कहा कि अपने हथियार व सामान आदि छोड़कर यहां से निकल जाओ। आतंकियों के इस प्रस्ताव को 16 देशों की टुकडियों ने मान लिया लेकिन भारत के सैनिक इसके लिए तैयार नहीं हुए।

अफ्रीकी लोगों के साथ मेजर जनरल राजपाल पूनिया।

अफ्रीकी लोगों के साथ मेजर जनरल राजपाल पूनिया।

डेढ़ महीना घिरे रहे, 15 दिन भूखे रहे तो बचा था एक ही रास्ता
अन्य देशों की टुकडियों द्वारा हथियार डालने के बाद भारत के 222 सैनिक व अन्य देशों के 11 सैन्य सुपरवाइजर समेत 233 लोग घने जंगलों में आतंकियों के बीच घिर गए। उनके पास दो वक्त का पूरा खाना भी नहीं था। ऐसे में दिन में एक बार खाना खाकर पूरी सैन्य टुकड़ी जीवित रही। आतंकियों के साथ बार-बार बैठक हो रही थी और वो हथियार डालने की बात कर रहे थे मगर भारत के सैनिक हथियार डालना नहीं चाहते थे। 60 दिन बाद जब सेना का खाना खत्म हो गया तो उनके पास युद्ध के अलावा कोई चारा नहीं बचा।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अनुमति तो टूट पड़े बहादुर

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उस देश में फंसे भारतीय सैनिकों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किए और ऑपरेशन खुकरी को अंजाम देने की इजाजत दी। 15 जुलाई 2000 को सुबह पांच बजे भारतीय सेना ने ऑपरेशन खुकरी स्टार्ट कर दिया। इस दौरान सेना ने भारी गोलाबारी करके आतंकियों के कैंपों को तबाह कर दिया और पैदल ही सभी सैनिक नजदीकी शहर दारू की ओर चल दिए। दो दिन तक चले इस ऑपरेशन में करीबन 150 RUF आतंकी मारे गए और एक भारतीय सैनिक हलवदार कृष्ण कुमार को शहादत देनी पड़ी। ब्रिटेन के सैन्य सुपरवाइजर को बचाने के लिए ब्रिटेन के दो चिनूक हैलिकॉप्टर सिएरा लियोन के जंगलों में आए और ब्रिटेन के सैन्य सुपरवाइजर सहित कुछ पैदल नहीं चलने लायक सैनिकों को साथ ले गये। इस ऑपरेशन में आतंकियों की हार के बाद सिएरा लियोन में शांति की स्थापना हुई। मेजर जनरल पूनिया ने बताया कि ऑपरेशन सफल होने के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस भी सैनिकों से मिलने सिएरा लियोन पहुंचे।

अफ्रीकी लोगों से मिलते सेना के अधिकारी और जवान।

अफ्रीकी लोगों से मिलते सेना के अधिकारी और जवान।

तिरंगे और हथियार से प्रेम के कारण सफल हुआ ऑपरेशन खुकरी
मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने बताया कि एक सैनिक दो बार ही तिरंगा मिलता है। एक बार सैनिक की शहादत पर तो दूसरी बार जब सेना की टुकड़ी बाहर किसी देश में ऑपरेशन पर जाती है। अगर यहां पर उनकी रेजिमेंट हार मान लेती तो तिरंगे का अपमान होता जो हमें मंजूर नहीं था। इसी तरक हथियार भी एक सैनिक का सम्मान है जो वो कभी झूका नहीं सकता। इसी प्रेम के कारण उनकी रेजिमेंट वहां पर टिकी रही और जीत हासिल की।

3 महीने पत्नी से भी बात नहीं कर पाए थे मेजर पूनिया, बेटी थी सिर्फ 4 साल की
मेजर पूनिया की पत्नी अनीता पूनिया ने बताया कि जिस वक्त ये ऑपरेशन हुआ था तब तीन महीने उनकी अपने पति से बात नहीं हुई थी। बल्कि उनको ये बताया जा रहा था कि उनके पति अन्य सैनिकों के साथ अफ्रीका के जंगलों में फंसे हैं और वहां उनका बचना मुश्किल है। ये वक्त बहुत मुश्किल से गुजरा लेकिन उन्हें अपने भगवान पर विश्वास था कि वो उनके पति और अन्य सैनिकों को सुरक्षित रखेंगे।

मेजर जनरल पूनिया की पुत्री व ऑपरेशन खुकरी की सह लेखिका दामिनी पूनिया ने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान वह 4 साल की थी लेकिन उन्हें इतना याद है कि सब कुछ सही नहीं था। जब वह बड़ी हुई तो उनको इसकी पूरी कहानी पता लगी। तब उनके पिता ने इसे एक किताब का रूप देने की ठानी तो उन्होंने भी उनका साथ दिया।

भारतीय सेना के कैंप में अफ्रीकी अधिकारी।

भारतीय सेना के कैंप में अफ्रीकी अधिकारी।

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