ऐलनाबाद में किसान आंदोलन बेअसर: भाजपा उम्मीदवार का उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, ग्रामीण मतदाओं में लगाई बड़ी सेंध
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ऐलनाबाद19 मिनट पहले
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ऐलनाबाद उप चुनाव के दौरान भाजपा के उम्मीदवार गोविंद कांडा को कई जगह किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं के आह्वान के बावजूद भाजपा उम्मीदवार का प्रदर्शन यहां उम्मीद से बहेतर रहा। दूसरे स्थान पर रहे गोबिंद कांडा को 59189 वोट मिले। यह संख्या किसान आंदोलन के ज्यादा असरकारक नहीं होने की ओर संकेत कर रही है, जो भाजपा के लिए राहत की बात भी है।
इंडियन नेशनल लोकदल के एक मात्र विधायक अभय सिंह चौटाला ने तीन कृषि कानून का विरोध करते हुए पद से त्यागपत्र दे दिया था। अभय लगातार किसान आंदोलन को समर्थन देने की बात भी करते रहे। इसके बावजूद उनकी जीत पिछली बार के मुकाबले बहुत फीकी है। क्योंकि पिछली बार उनकी जीत का अंतर 12000 के करीब था। इस बार किसान संगठनों के समर्थन की घोषणा के बावजूद जीत का अंतर 7 हजार से भी नीचे आ गया।
ज्यादा मतदाता गांवों के फिर भी नतीजे अलग
राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि किसान आंदोलन का असर सिर्फ हरियाणा और पंजाब में है। नतीजे बता रहे हैं कि हरियाणा उप चुनाव में ऐसा कुछ हुआ नहीं। ऐलनाबाद कस्बे को छोड़ दें तो विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण मतदाता ही अधिक हैं। ये मतदाता या तो किसान हैं या खेती से जुड़े हैं। राजस्थान सीमा के साथ लगने वाले गांव विकास में पिछड़े हैं। इसके बाद भी वहां से भाजपा को समर्थन मिला है। चुनाव के नतीजे सोचने को मजबूर कर रहे हैं कि आखिर किसान आंदोलन कहां खड़ा है?
चुनाव से ठीक पहले पार्टी जॉइन करते समय गोविंद कांडा। (फाइल फोटो)
गांवों में भाजपा की बड़ी सेंध
भाजपा उम्मीदवार न सिर्फ दूसरे नंबर पर रहे, बल्कि इनेलो उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला को कड़ी टक्कर देते नजर आए। विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में भी भाजपा को अच्छे-खासे वोट मिले जो उसके लिए राहत की बात है। भाजपा यहां चौटाला और इनेलो के गढ़ को भेदती नजर आई। ग्रामीण मतदाताओं में भी भाजपा ने बड़ी सेंध लगाई। पिछले चुनाव के मुकाबले भी सीट पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है। 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 45133 वोट मिले थे और इस बार 59189 वोट मिले।
भाजपा की इस हार में भी है बड़ी जीत
भाजपा भले ही इस सीट पर चुनाव हार गई है लेकिन इस हार में पार्टी की बड़ी जीत है। इससे पहले प्रचारित किया जा रहा था कि किसान आंदोलन ने भाजपा को हाशिये पर धकेल दिया है लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया। गोविंद कांडा को मिले वोट संकेत दे रहे हैं कि इनेलो की पारंपरिक सीट पर ही भाजपा की मतदाता पर पकड़ कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हुई है। हरियाणा की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि यह भी कहा जा सकता है कि इनेलो का गढ़ अब अभेद्य नहीं रह गया है।
उपचुनाव के लिए प्रचार के दौरान गोविंद कांडा। (फाइल फोटो)
मतदाता गठबंधन सरकार से खुश नहीं तो नाराज भी नहीं
गोविंद कांडा के लिए उप चुनाव मुख्य धारा की राजनीति की शुरुआत मानी जा रही है। इनेलो की पारंपरिक सीट पर जैसा प्रदर्शन उन्होंने किया, इससे समझा जा सकता है कि भाजपा ने उन्हें क्यों चुना। कांडा के प्रदर्शन ने एक बात और साबित कर दी है कि मतदाता कहीं न कहीं भाजपा-जजपा सरकार की नीतियों खुश नहीं तो नाराज भी नहीं है। कुछ हद तक उन्होंने सरकार की नीतियों पर विश्वास जताया है। चुनाव में भाजपा का वोट बैंक 14 हजार बढ़ा है, जो इस ओर संकेत कर रहा है।
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