इमरान खान की भी जासूसी हुई: पाकिस्तान ने मोदी सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया, इमरान का नंबर पेगासस लिस्ट में, कहा- वैश्विक मुद्दा बनाएंगे
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इस्लामाबाद20 मिनट पहले
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इजराइली स्पायवेयर पेगासस से जासूसी के मुद्दे पर देश में तो संसद से सड़क तक हंगामा मचा हुआ ही है। वहीं अब ये मुद्दा पाकिस्तान में भी तूल पकड़ रहा है। अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिन नंबरों की जासूसी करवाई गई है, उसमें एक नंबर ऐसा भी है, जिसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान एक बार इस्तेमाल कर चुके हैं।
यह रिपोर्ट सामने आने के बाद पाकिस्तान की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। पाकिस्तानी मीडिया डॉन न्यूज के मुताबिक पाकिस्तान के IT मंत्री फवाद चौधरी ने पाक PM की जासूसी का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने की धमकी दी है। चौधरी ने जासूसी का आरोप भारत पर लगाया है। उन्होंने कहा है कि इस मसले पर जानकारी सामने आते ही इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
भारत के 1,000 नंबर सर्विलांस लिस्ट में
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक सर्विलांस लिस्ट में भारत के 1,000 नंबर और पाकिस्तान के 100 नंबरों को डाला गया था। स्पायवेयर सॉफ्टवेयर पेगासस इजराइली फर्म NSO ग्रुप टेक्नोलॉजीज ने बनाया है। कंपनी को हैकिंग सॉफ्टवेयर बनाने में महारत हासिल है। उसका दावा है कि कई देशों की सरकार जासूसी के लिए उसका सॉफ्टवेयर इस्तेमाल क कर चुकी हैं।
रिपोर्ट में दावा- मोदी के मंत्री भी हैकिंग के दायरे में
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि न सिर्फ कांग्रेस के नेता ही नहीं बल्कि केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल और संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के फोन भी हैकिंग टारगेट पर थे। रिपोर्ट में जिन नामों का जिक्र किया गया है, उनमें से प्रमुख लोग ये हैं..
1. विपक्ष के नेता राहुल गांधी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के फोन नंबर भी इस लिस्ट में शामिल थे।
2. संसद में सरकार का बचाव करने वाले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का नाम भी इस लिस्ट में शामिल था।
3. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी इस लिस्ट में बताया गया है। उन्होंने ही 20014 में मोदी की ब्रांडिंग की थी।
4. पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम भी लिस्ट में शामिल है। लवासा ने 2009 के चुनाव में मोदी-शाह के खिलाफ हुई शिकायत पर चुनाव आयोग के फैसले से असहमति जताई थी।
विदेशों में भी हुई पत्रकारों की जासूसी
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पेगासस के क्लाइंट्स ने ऐसे पत्रकारों की जासूसी कराई, जो सरकार की नाकामियों को उजागर करते रहे हैं या जो उसके फैसलों की आलोचना करते रहे हैं। एशिया से लेकर अमेरिका तक में कई देशों ने पेगासस के जरिए पत्रकारों की जासूसी की या उन्हें निगरानी सूची में रखा। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ देशों के नाम भी दिए गए हैं, जहां पत्रकारों पर सरकार की नजरें हैं। लिस्ट में टॉप पर अजरबैजान है, जहां 48 पत्रकार सरकारी निगरानी सूची में थे। भारत में यह आंकड़ा 38 का है।
किस देश में कितने पत्रकारों पर नजर
- अजरबैजान: देश में दमन और भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले कम से कम 48 पत्रकारों पर सरकार निगरानी रख रही है।
- मोरक्को: सरकार के भ्रष्टाचार और मानव अधिकार उल्लंघन की आलोचना करने वाले कम से कम 38 पत्रकार निगरानी सूची में हैं।
- UAE: फाइनेंशियल टाइम्स के एडिटर और द वॉल स्ट्रीट जर्नल के इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर समेत कम से कम 12 पत्रकारों की निगरानी की जा रही है।
- भारत: देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों समेत 38 पत्रकारों की निगरानी की जा रही थी।
- इनके अलावा मैक्सिको, हंगरी, बहरीन, काजाकिस्तान और रवांडा में भी सरकारों ने पत्रकारों की जासूसी कराई।
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