इंडियन नेवी का स्वर्णिम विजय वर्ष: 1971 के भारत- पाक युद्ध के 50 साल पूरे, कराची हार्बर को तबाह करने वाली किलर स्क्वार्डन को मिलेगा प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड अवार्ड
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नई दिल्ली3 मिनट पहले
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इंडियन नेवी हर साल 4 दिसंबर को अपनी बहादुरी और उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए इंडियन नेवी डे मनाती है। आज ही के दिन, 04 दिसंबर 1971 के भारत-पाक वॉर के दौरान भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाया था। करीब 5 दिन तक ये पूरा ऑपरेशन चला। इस ऑपरेशन में कराची हार्बर को काफी नुकसान पहुंचा था।
इस साल 1971 वॉर की जीत के 50 साल पूरे हो रहे हैं। इसलिए नेवी इसे स्वर्णिम विजय वर्ष के तौर पर सेलिब्रेट कर रही है। वहीं, कराची हार्बर को तबाह करने वाली किलर स्क्वार्डन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्क्वार्डन को प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड अवॉर्ड से सम्मानित करेंगे। यह सम्मान 8 दिसंबर को मुंबई के नवल डॉकयार्ड पर दिया जाएगा।
कराची हार्बर को तबाह करने वाली किलर स्क्वार्डन
22 मिसाइल स्क्वार्डन को 1971 की जंग में बहादुरी का प्रदर्शन करने और 50 साल की देश सेवा के लिए प्रेसिडेंट स्टैंडर्ड अवॉर्ड से नवाजा गया है। यह किसी भी सेना के लिए सर्वोच्च सम्मान है। 22 मिसाइल स्क्वार्डन को किलर स्क्वार्डन के नाम से भी जाना जाता है। इस स्क्वार्डन के बेड़े ने कराची हार्बर को तबाह किया और 6 पाकिस्तानी वॉरशिप को डुबा दिया था। इस बेड़े में INS निर्घट, INS निपात और INS वीर शामिल थे।
मिसाइल बोट आईएनएस निपात और आईएनएस वीर
नेवी ने 8-9 दिसंबर की रात को ऑपरेशन पाइथन चलाया। इस ऑपरेशन में INS विनाश के साथ नेवी के दो फ्रिगेट त्रिशूल और तलवार भी शामिल थे। INS विनाश ने कराची के कीमारी तेल डिपो को निशाना बनाया और तबाह कर दिया । इन्हीं 2 सफल ऑपरेशन की वजह से इसे किलर स्क्वार्डन के नाम दिया गया। फिलहाल इस स्क्वार्डन में 2 प्रबल और 6 वीर क्लास जहाज शामिल हैं।
हिट फर्स्ट एंड हिट हार्ड
INS नाशक पर गनरी ऑफिसर के तौर पर तैनात लेफ्टिनेंट नवनीत यादव ने बताया कि किलर स्क्वार्डन की स्थापना 1969 में हुई थी। इस स्क्वार्डन बनाने का मकसद दुश्मनों पर सबसे पहले हमला करना है। ‘हिट फर्स्ट एंड हिट हार्ड’ ही किलर स्क्वार्डन का मोटो है। नवनीत ने कहा- हमारा स्क्वार्डन सिर्फ दुश्मनों पर जीत हासिल करने के लिए बना है। हम देश की मदद के लिए हमेशा तैयार हैं।
1971 की जंग में इंडियन नेवी को कोई भी नुकसान नहीं हुआ था।
1971 में कराची हमले के दौरान पाक के सारे ऑयल फील्ड्स को भी तहस- नहस कर दिया गया और उनके ट्रेडिंग रुट्स को भी ब्लॉक कर दिया गया। 1971 की जंग ही पहली ऐसी जंग थी जिसमे इंडियन नेवी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा था। यह नेवी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इंडियन नेवी के इस कारनामे को कई देशों की नेवी केस स्टडी के तौर पर देखती हैं।
INS प्रलय की खासियत
INS प्रलय को 17 फरवरी 1976 को नेवी में कमीशन किया गया था। इसे जून 2001 में डिकमीशन कर दिया गया। 2002 में मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए वॉरशिप को भी INS प्रलय नाम दिया गया। इसे 18 दिसंबर 2002 को नेवी में फिर से कमीशन किया गया। लेफ्टिनेंट नवनीत ने कहा- 22 स्क्वार्डन में शामिल INS प्रलय 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। यह जहाज दिखने में काफी छोटी है। दुश्मनों की नजर से बचने के लिए इसे आकार में छोटा बनाया गया है। कोई दुश्मन इसे रडार पर देखे तो यह किसी मछुआरे की नाव जैसी दिखेगी। INS प्रलय को स्क्वार्डन के प्रबल क्लास में कमीशन किया गया है।
INS प्रलय रडार को चकमा देने में सक्षम है।
इस जहाज की सबसे खतरनाक बन्दूक का नाम SRJM (सुपर रैपिड गन माउंट) है। यह एक मीडियम रेंज गन है। इसे खास तौर पर दुश्मनों के एयरक्राफ्ट्स और सरफेस क्राफ्ट्स पर हमला करने के लिए बनाया गया है। यह एक बार में 120 राउंड फायर कर सकती है। इन जहाजों में दो तरह के रडार इसमें लगाए गए हैं, इनमें सरफेस सर्विलान्स रडार और एमडीआर शामिल है।
इंडियन नेवी की स्थापना
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1612 में इंडियन नेवी की स्थापना की थी। इसे बाद में रॉयल इंडियन नेवी का नाम दिया गया। आजादी के बाद 1950 से इसे इंडियन नेवी नाम दिया गया।
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