आधे भारत में बिजली संकट: चीन-यूरोप के बाद अब भारत में बड़ी लाइट की समस्या; कोयला खदानों में माॅनसून की तैयारियां नहीं हुईं, इसलिए पावर कट

आधे भारत में बिजली संकट: चीन-यूरोप के बाद अब भारत में बड़ी लाइट की समस्या; कोयला खदानों में माॅनसून की तैयारियां नहीं हुईं, इसलिए पावर कट

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नई दिल्ली21 मिनट पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा

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आधे भारत में बिजली संकट: चीन-यूरोप के बाद अब भारत में बड़ी लाइट की समस्या; कोयला खदानों में माॅनसून की तैयारियां नहीं हुईं, इसलिए पावर कट

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक होने के बावजूद देश में इन दिनों कोयला की भारी कमी हो गई है, इससे उत्तर, मध्य और पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली का संकट खड़ा हो गया है।

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक होने के बावजूद देश में इन दिनों कोयला की भारी कमी हो गई है। इससे उत्तर, मध्य और पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली का संकट खड़ा हो गया है। यानी आधे से ज्यादा भारत में पावर कट लग रहे हैं। बिजली क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि दिवाली तक बिजली संकट से निजात मिलने की संभावना बेहद कम है। पावर एक्सपर्ट के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोयला खदानें बुरी तरह प्रभावित हुईं, जबकि पावर प्लांट्स में बिजली उत्पादन एक दिन भी बंद नहीं हुआ।

यानी, कोयले की डिमांड बरकरार रही, लेकिन सप्लाई रुक गई। बिजली संकट का बड़ा कारण कोरोना भी है। दरअसल कोरोना के पीक (अप्रैल-मई) में खदानों में प्री-माॅनसून की तैयारियां और रखरखाव नहीं हो सका था। दूसरी ओर, अगस्त-सितंबर में बिजली की मांग में 16% की बढ़ोतरी हो गई। फिर सितंबर में कोयला उत्पादन वाले प्रदेशों में भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया। इससे सितंबर में भी अप्रैल-मई की तरह कई दिन कोयला आपूर्ति ठप रही।

अब इकोनॉमी पटरी पर लौट रही है। कोरोनाकाल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए इंडस्ट्री में चल रहे ओवर वर्क ने बिजली की इंडस्ट्रियल मांग बढ़ा दी। बिजली की दैनिक मांग 4 अरब यूनिट से ज्यादा हो गई। इसमें से 65-70% बिजली अकेले कोयला आधारित पावर प्लांट से ही मिलती है। अक्टूबर के पहले 8 दिनों में मांग की तुलना में 11.5% कम बिजली आपूर्ति हो सकी।

इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन बोले- ऐसा संकट पहले नहीं देखा
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पावर प्लांट्स में कोयले की ऐसी कमी और बिजली संकट पहले कभी नहीं देखा। आमतौर पर इन दिनों बिजली की मांग घटने लगती है, लेकिन अक्टूबर के पहले हफ्ते के दौरान औसतन 1,70,000 मेगावाट की मांग रही, जो पिछले साल की तुलना में 15 हजार मेगावाट ज्यादा है। इसी वजह से उत्तर प्रदेश में 21 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली बेची जा रही है।
कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान कोयला खदानें बुरी तरह प्रभावित हुईं, जबकि कोयला आधारित पावर प्लांट में बिजली उत्पादन जारी रहने से उनका स्टॉक लगातार खर्च होता रहा। माॅनसून से पहले की जाने वाली तैयारियां जैसे खदानों में पानी निकालने की मशीनें लगाना, ड्रेनेज सिस्टम की मरम्मत जैसे काम नहीं हो सके। रखरखाव की जरूरी मशीनें व स्पेयरपार्ट्स भी उपलब्ध नहीं थे।

अप्रैल से ही हालात खराब होने लगे थे, असर अब दिख रहा है
एक पावर एक्सपर्ट ने बताया कि पावर प्लांट में अप्रैल से ही चल रही कमी का हाल अक्टूबर की शुरुआत में बदतर स्तर पर पहुंच गया। देश के 135 कोल पावर प्लांट्स में से 72 प्लांट्स में 3 दिन, 50 प्लांट्स में 4 से 10 दिन और 13 प्लांट्स में 10 दिन से ज्यादा का कोयला स्टॉक उपलब्ध था। ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त-सितंबर महीने में 2019 (सामान्य नॉन-कोविड वर्ष) में बिजली की खपत में प्रति माह 106.6 अरब यूनिट का इजाफा हुआ था, जो 2021 में इसी दौरान 124.2 अरब यूनिट प्रति माह हो गया। इन्हीं दोनों वर्षों में बिजली उत्पादन में कोयला आधारित पावर प्लांट की हिस्सेदारी 2019 में 61.91% से बढ़कर 2021 में 66.35% हो गई। इस तरह कोयले की खपत में 18% का इजाफा हो गया। जबकि, सप्लाई बढ़ने के बजाए घटनी शुरू हो गई। इससे संकट बढ़ा।

दुनियाभर में कोयले की कीमतें तिगुनी, इसलिए भी दबाव बढ़ा
आयातित कोयले की कीमतें मार्च से सितंबर तक 6 महीने में ही तीन गुना से ज्यादा बढ़ गईं। इससे घरेलू आपूर्ति की मांग और बढ़ गई। पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा कोयले की खपत 2018-19 में 643.7 मिलियन टन थी, जिसमें 61.7 मिलियन टन आयातित था। कोयला मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में 723.3 मिलियन टन कोयले की जरूरत है।
हालांकि, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि- ‘आमतौर पर पावर प्लांट्स में 4 दिन का स्टॉक रहता है, इसलिए इसे संकट नहीं कह सकते। बेशक ये बहुत टाइट पीरियड है, सरकार इस पर नजर बनाए हुए है।’ उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बिजली की मांग कम होगी, फिर संकट नहीं रहेगा। बारिश अब थम चुकी है। कोयला सप्लाई में भी सुधार दिखा है। 7 अक्टूबर को खदानों से कोयले के 268 रैक रवाना किए गए।

यूपी: 8 प्रोडक्शन यूनिट बंद, जिनसे 2700 मेगावाट बिजली की कमी हो गई है। रोज 4-5 घंटे के बिजली कट शुरू। राज्य एनर्जी एक्सचेंज से 21 रु. प्रति यूनिट बिजली खरीद रहा है।

दिल्ली: सीएम अरविंदर केजरीवाल ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की। ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा- दिल्ली को जिन पावर प्लांट से बिजली मिलती है, उनमें कोयले खत्म है।

मध्य प्रदेश: मांग 10 हजार मेगावाट, उत्पादन 2300 मेगावाट, आधी क्षमता से भी कम उत्पादन। अक्टूबर 2020 के दूसरे हफ्ते में 15.86 लाख टन कोयला था, अभी 5.92 लाख टन है।

राजस्थान: मांग 12,500 मेगावाट, उत्पादन 8,500 मेगावाट, 7 यूनिट बंद हैं। रोजाना 11 रैक कोयले की जरूरत होती है, लेकिन उसे फिलहाल 7-8 रैक मिल रहे हैं।

दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक व उपभोक्ता चीन में भी इन दिनों बिजली संकट है। वहां फैक्ट्रियों को उत्पादन में कटौती करने के लिए कहा गया है। इस समय चीन के कोयला स्टॉक में ऐतिहासिक रूप से किल्लत है। उधर, यूरोप में खासकर ब्रिटेन में भी इसी वजह से बिजली की कमी चल रही है।

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