आज का इतिहास: 1857 की क्रांति से 51 साल पहले भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ किया था पहला विद्रोह, रातों रात वेल्लोर के किले पर किया था कब्जा

आज का इतिहास: 1857 की क्रांति से 51 साल पहले भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ किया था पहला विद्रोह, रातों रात वेल्लोर के किले पर किया था कब्जा

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29 मिनट पहले

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भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम की बात होती है, तो हमें 1857 की क्रांति ही याद आती है, लेकिन 1806 में आज ही के दिन वेल्लोर में भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया था। वेल्लोर के किले में भारतीय सैनिकों ने करीब 200 अंग्रेज सैनिकों पर हमला किया। किले को अंग्रेजों से मुक्त कराकर टीपू सुल्तान के बेटे को वहां का राजा घोषित कर दिया। इतिहास में इस घटना को वेल्लोर विद्रोह के नाम से जाना जाता है।

इस विद्रोह की वजह अंग्रेजों का नया ड्रेस कोड था। इस ड्रेस कोड में हिन्दू सैनिकों को तिलक लगाने से मना कर दिया गया था, वहीं मुस्लिम सैनिकों को दाढ़ी काटने का हुक्म दिया गया था। साथ ही सैनिकों को एक कलगी लगी हैट भी पहनने का आदेश मिला था।

भारतीय हिन्दू सैनिक तिलक लगाना नहीं छोड़ सकते थे और मुस्लिम सैनिक दाढ़ी नहीं कटा सकते थे। सैनिकों ने अंग्रेजों के इस हुक्म का विरोध किया, लेकिन अंग्रेजों ने विरोध करने वाले सैनिकों पर कोड़े बरसाए और उन्हें सेना से बर्खास्त कर दिया।

वेल्लोर का किला जहां भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया था।

वेल्लोर का किला जहां भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया था।

अंग्रेजों के इस कदम से सिपाहियों का गुस्सा और बढ़ गया। 9 जुलाई 1806 को टीपू सुल्तान की एक बेटी की शादी वेल्लोर के किले में ही थी। दरअसल 1799 में टीपू सुल्तान का निधन हो गया था और उनका परिवार अब ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर ही चल रहा था। अंग्रेजों ने इस परिवार को वेल्लोर किले का एक हिस्सा रहने के लिए दे रखा था।

इस शादी में विद्रोही सैनिक भी इकट्ठे हुए और फैसला लिया कि किले को अंग्रेजों से मुक्त कराया जाएगा।

इधर शादी खत्म हुई और उधर भारतीय सैनिक अपने प्लान को अंजाम देने में लग गए। सिपाहियों ने अपने अंग्रेज अधिकारियों को सबसे पहले निशाना बनाया।

इसके बाद पूरे किले में सिपाही फैल गए और एक-एक कर सभी अंग्रेजों को मारा जाने लगा। किले के सेनापति जॉन फैनकोर्ट भी मारा गया और सुबह होते-होते किला भारतीय सैनिकों के कब्जे में आ गया। किले पर मैसूर सल्तनत का झंडा फहरा दिया गया और टीपू सुल्तान के बेटे को राजा घोषित कर दिया गया।

वेल्लोर से लगभग 25 किलोमीटर आरकोट में ब्रिटिश सेना का कैंप था। किसी तरह ये खबर आरकोट पहुंच गई। अंग्रेजों ने तुरंत गोला-बारूद के साथ सैनिकों को वेल्लोर किले पर आक्रमण के लिए भेज दिया। ब्रिटिश सेना किले में घुसी और भारतीय सैनिकों का नरसंहार करने लगी। जो दिखा उसे गोली से उड़ा दिया गया। थोड़ी ही देर में सैकड़ों भारतीय सैनिक शहीद हो गए।

1962: दुनिया की पहली कम्युनिकेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग

आज ही के दिन 1962 में नासा ने टेलस्टार-1 सैटेलाइट लॉन्च की थी। ये दुनिया की पहली कम्युनिकेशन सैटेलाइट थी, जो हजारों किलोमीटर दूर तक सिग्नल ट्रांसमिट कर सकती थी। इसके साथ ही ये पहली सैटेलाइट थी जो टीवी सिग्नल ट्रांसमिट कर सकती थी।

इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग ने संचार जगत में क्रांति ला दी थी। आज भी टेलस्टार को दुनिया की बाकी सभी कम्युनिकेशन सैटेलाइट की जननी माना जाता है। दरअसल इस सैटेलाइट से पहले भी माइक्रो वेव के जरिए सिग्नल ट्रांसमिट किए जाते थे, लेकिन परेशानी ये थी कि इन सिग्नल को समुद्र के पार नहीं भेजा जा सकता था।

धरती की परिधि की वजह से ये केवल सैटेलाइट के जरिए ही किया जा सकता था। इस सैटेलाइट को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग एजेंसियों ने मिलकर बनाया था, जिसकी जिम्मेदारी बेल लैब्स के रिसर्चर जॉन पीयर्स के कंधों पर थी।

टेलस्टार-1

टेलस्टार-1

जॉन ने 77 किलोग्राम वजनी और 3 फीट लंबी इस सैटेलाइट में उस समय का सबसे कॉम्प्लेक्स इलेक्ट्रॉनिक सर्किट लगाया था। इस सर्किट में 1 हजार ट्रांजिस्टर थे जो किसी भी सिग्नल को 10 हजार गुना एम्प्लीफाय कर सकते थे। एक बड़ी फुटबॉल की तरह दिखने वाली इस सैटेलाइट को चलाने के लिए 3600 सोलर सेल लगाए गए थे।

सैटेलाइट एक बार में 600 फोन कॉल्स और एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी सिग्नल को ट्रांसमिट कर सकता था। सैटेलाइट को सिग्नल भेजने और सैटेलाइट से सिग्नल रिसीव करने के लिए अमेरिका और यूरोप में स्टेशन बनाए गए।

आज ही के दिन 1962 में डेल्टा रॉकेट के जरिए सैटेलाइट को पृथ्वी की लो ऑर्बिट में लॉन्च किया गया।

सैटेलाइट करीब ढाई घंटे में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता, लेकिन इस ढाई घंटे में से केवल 20 मिनट ही ऐसी पोजिशन में रहता जब अमेरिका और यूरोप के बीच सिग्नल ट्रांसमिट हो सकते थे। सैटेलाइट लॉन्च हो चुकी थी और बढ़िया काम कर रहा था।

दो दिनों बाद अमेरिका के एंडोवर अर्थ स्टेशन से एक सिग्नल ट्रांसमिट किया गया। इसे सैटेलाइट ने बखूबी ट्रांसमिट किया और इस सिग्नल को ब्रिटनी फ्रांस के टेलीकॉम सेंटर ने कैच कर लिया। ये अटलांटिक महासागर के पार पहली बार सिग्नल ट्रांसमिशन था।

हालांकि ये सैटेलाइट केवल कुछ महीनों तक ही काम कर सका और रेडिएशन की वजह से इसके सर्किट ने काम करना बंद कर दिया, लेकिन इस सैटेलाइट ने संचार जगत में क्रांति को जन्म दे दिया था।

10 जुलाई के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

आज ही के दिन 2020 में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदला था।

आज ही के दिन 2020 में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदला था।

2019: वॉक्सवैगन ने अपने 81 साल पुराने पहले कार मॉडल ‘बीटल’ का प्रोडक्शन बंद करने की घोषणा की।

1995: म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक असंतुष्ट एवं नजरबंद नेता आंग सान सूकी लगभग 6 साल के बाद नजरबंदी से मुक्त की गईं।

1991: सोवियत संघ के टूटने के बाद बोरिस येत्सिन रूस के पहले राष्ट्रपति बने।

1938: होवर्ड ह्यूज ने लॉकहीड-14 के जरिए 91 घंटे में पूरी दुनिया का चक्कर लगाकर रिकॉर्ड बनाया।

1856: निकोला टेस्ला का जन्म हुआ। उनके नाम पर ही फ्लक्स की मानक इकाई को टेस्ला का नाम दिया गया है।

1553: मात्र 15 साल की उम्र में लेडी जेन ग्रे इंग्लैंड की रानी बनीं। हालांकि वे केवल 9 दिन तक ही इस पद रहीं इसलिए उन्हें 9 दिन की रानी के नाम से भी जाना जाता है।

खबरें और भी हैं…

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