आज का इतिहास: वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस आज; नरसंहार, युद्ध अपराध जैसे मामलों के लिए 23 साल पहले आज ही के दिन बनी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट

आज का इतिहास: वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस आज; नरसंहार, युद्ध अपराध जैसे मामलों के लिए 23 साल पहले आज ही के दिन बनी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट

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  • Today History (Aaj Ka Itihas) 17 July India News Update; World Day For International Justice | Major Events In Today’s History

16 मिनट पहले

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आज का इतिहास: वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस आज; नरसंहार, युद्ध अपराध जैसे मामलों के लिए 23 साल पहले आज ही के दिन बनी इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट

आज ‘वर्ल्ड डे फॉर इंटरनेशनल जस्टिस’ है। 1998 में आज ही के दिन 120 से ज्यादा देशों ने मिलकर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना की थी। इस कोर्ट को बनाने का मकसद गंभीर अपराधों के मामलों की सुनवाई करना है। 1 जुलाई 2002 से इस कोर्ट ने अपना कामकाज शुरू किया था। हालांकि भारत रोम में हुई उस संधि से अलग है, जिसमें शामिल देशों ने इस कोर्ट की स्थापना की थी।

दरअसल, 1945 में यूनाइटेड नेशंस के बनने के बाद से ही इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट बनाने की कोशिश हो रही थी। 9 दिसंबर 1948 को यूनाइटेड नेशंस ने इस बारे में एक रेजोल्यूशन पास किया। इसमें कहा गया कि इतिहास में नरसंहार जैसी क्रूर घटनाओं ने मानवता का बहुत नुकसान किया है। मानव जाति को इस तरह के जघन्य संकट से मुक्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।

इस रेजोल्यूशन में नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध माना गया। यूनाइटेड नेशंस ने एक इंटरनेशनल कोर्ट के गठन के लिए इंटरनेशनल लॉ कमीशन से भी सुझाव मांगा। कमीशन के सुझावों के आधार पर एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी का काम इंटरनेशनल कोर्ट की स्थापना से जुड़ी रिसर्च करना था। 1953 में इस कमेटी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया।

1993 में युगोस्लाविया में भीषण गृह युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में जातीय हिंसा में हजारों लोगों का नरसंहार हुआ। इसके बाद एक बार फिर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के गठन की मांग बढ़ने लगी। 1994 में इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के गठन संबंधी ड्राफ्ट पर काम पूरा किया। इस ड्राफ्ट को यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली के सामने रखा गया। इस दौरान ड्राफ्ट में सुधार होते रहे और अप्रैल 1998 में ड्राफ्ट पूरी तरह बनकर तैयार हो गया।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में सुनवाई के दौरान थॉमस लुबांगा।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में सुनवाई के दौरान थॉमस लुबांगा।

यूनाइटेड नेशंस ने रोम में 15 जून से 17 जुलाई तक इस ड्राफ्ट को कानून का रूप देने के लिए एक कॉन्फ्रेंस बुलाई। आज ही के दिन 1998 में 100 से भी ज्यादा देशों ने इस ड्राफ्ट पर अपनी सहमति जताते हुए इसे कानून का रूप दे दिया और इसी के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट की स्थापना हुई।

2006 में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने अपने पहले मामले पर सुनवाई शुरू की। ये मामला कांगो के मिलिट्री कमांडर थॉमस लुबांगा से जुड़ा था, जिन पर आरोप था कि उन्होंने सेना में बच्चों को भर्ती किया। लुबांगा ने युद्ध में उनका इस्तेमाल किया। 2009 में इस मामले में लुबांगा पर ट्रायल शुरू हुआ। 2012 तक इस मामले की सुनवाई चली। मार्च 2012 में कोर्ट ने लुबांगा को इस अपराध का दोषी पाते हुए उन्हें 14 साल की सजा सुनाई।

1917: ब्रिटेन के शाही परिवार ने अपना सरनेम बदला

18वीं शताब्दी की शुरुआत से ही ब्रिटेन के राजपरिवार के सदस्यों के वैवाहिक संबंध जर्मन शासकों से रहे हैं। क्वीन विक्टोरिया के पति अल्बर्ट भी जर्मन थे। इन दोनों के 9 बच्चे थे, जिन्होंने पूरे यूरोप में अलग-अलग जगहों पर शादियां कीं। शाही परिवार के पुरुष सदस्यों को सैक्स कोबुर्ग एंड गोथा की उपाधि दी जाती थी।

किंग जॉर्ज V

किंग जॉर्ज V

1911 में जॉर्ज V राजा बने और कुछ ही सालों बाद पहला विश्वयुद्ध शुरू हो गया। इस विश्वयुद्ध में जर्मनी और ब्रिटेन की सेना आमने-सामने थी। इस वजह से ब्रिटेन के लोगों में जर्मनी के खिलाफ नफरत बढ़ती जा रही थी। जर्मन लोगों को मारा जा रहा था, उनकी दुकानें लूटी जा रही थीं। देश में जर्मन विरोधी दंगे भड़क रहे थे। जर्मन राजा विल्हम II जॉर्ज V का चचेरा भाई था। इस वजह से लोगों में राजपरिवार के जर्मन कनेक्शन को लेकर भी असंतोष पनपने लगा था। लिहाजा किंग जॉर्ज ने लोगों की जर्मन विरोधी भावनाओं को देखते हुए राजपरिवार के नाम को जर्मन से इंग्लिश करने का फैसला लिया।

आज ही के दिन 1917 में किंग जॉर्ज ने ब्रिटिश राजघराने का नाम सैक्स कोबुर्ग एंड गोथा से बदलकर विंडसर कर दिया। उसके बाद से आज तक ब्रिटेन के शाही परिवार के पुरुष सदस्यों को विंडसर नाम से ही जाना जाता है।

17 जुलाई को इन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

2014: मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट को रूस समर्थक अलगाववादियों ने मिसाइल के जरिए गिरा दिया। हमले में फ्लाइट में सवार सभी 283 यात्रियों की मौत हो गई।

1996: तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई कर दिया।

1955 में आज ही के दिन वॉल्ट डिज्नी ने कैलिफोर्निया में डिज्नीलैंड पार्क की शुरुआत की थी। पार्क में मौजूद डिज्नी कैरेक्टर्स को देखने हर साल यहां लाखों लोग आते हैं।

1955 में आज ही के दिन वॉल्ट डिज्नी ने कैलिफोर्निया में डिज्नीलैंड पार्क की शुरुआत की थी। पार्क में मौजूद डिज्नी कैरेक्टर्स को देखने हर साल यहां लाखों लोग आते हैं।

1947: भारतीय यात्री जहाज एसएस रामदास एक समुद्री तूफान की चपेट में आ गया। हादसे में जहाज में सवार 713 यात्रियों में से 690 की मौत हो गई।

1936: स्पेन में सिविल वॉर की शुरुआत हुई, जो 3 साल तक चलता रहा।

1918: रूस के जार निकोलस द्वितीय और उनके परिवार की हत्या कर दी गई।

खबरें और भी हैं…

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