आज का इतिहास: मदर टेरेसा को शांति का नोबेल मिला; 19 साल की उम्र में भारत आईं और भारत की ही होकर रह गईं

आज का इतिहास: मदर टेरेसा को शांति का नोबेल मिला; 19 साल की उम्र में भारत आईं और भारत की ही होकर रह गईं

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33 मिनट पहले

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आज का इतिहास: मदर टेरेसा को शांति का नोबेल मिला; 19 साल की उम्र में भारत आईं और भारत की ही होकर रह गईं

आज ही के दिन 1979 में मदर टेरेसा को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार “मानवता की मदद के लिए उनके काम” के लिए दिया गया था।

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मैसिडोनिया के स्काप्जे में हुआ था। बचपन में उनका नाम गोंझा बोयाजिजू था। सिर्फ 12 साल की थीं, तब अनुभव हो गया था कि सारा जीवन मानव सेवा में लगाएंगी। 18 साल की उम्र में सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल होने का फैसला लिया। आयरलैंड जाकर अंग्रेजी सीखी। 1929 में कोलकाता में लोरेटो कॉन्वेंट पहुंचीं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बंगाल में भीषण अकाल पड़ा। तब मदर टेरेसा ने गरीबों की सेवा शुरू की।

अपनी मां के साथ मदर टेरेसा।

अपनी मां के साथ मदर टेरेसा।

उन्होंने अक्टूबर 1950 में वेटिकन से मिशनरी ऑफ चैरिटी बनाई। अब तक वे भारतीय नागरिक बन चुकी थीं। उनकी मौत के वक्त यानी 1997 तक 120 देशों में उनकी मिशनरी 594 आश्रमों में और 3480 सिस्टर के रूप में फैल चुकी थी। मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए भारत सरकार ने पहले 1962 में पद्मश्री और बाद में 1980 में भारत रत्न से सम्मानित किया। मानव सेवा और गरीबों की देखभाल करने वाली मदर टेरेसा को पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 19 अक्टूबर 2003 को रोम में धन्य घोषित किया। 15 मार्च 2016 को पोप फ्रांसिस ने कार्डेना परिषद में संत की उपाधि देने की घोषणा की।

1956: 13 साल के बॉबी फिशर ने रचा इतिहास

बात 1956 की है। 17 अक्टूबर को 13 साल के रॉबर्ट जेम्स फिशर ने इतिहास रचा, जिसे बाद में बॉबी फिशर के नाम से लोगों ने जाना।

मैच के दौरान रॉबर्ट जेम्स फिशर।

मैच के दौरान रॉबर्ट जेम्स फिशर।

उन्होंने शतरंज के खेल में क्वीन का बलिदान देकर जीत हासिल की और इस गेम को कहा गया गेम ऑफ द सेंचुरी। अब तक इस गेम को शतरंज की हजारों किताबों और कलेक्शन में चर्चा में शामिल किया गया है। न्यूयॉर्क में यह मैच खेला गया था, जिसमें यूएस जूनियर चैम्पियन बॉबी फिशर ने डोनाल्ड बायर्न को हराया था।

1814: लंदन की सड़कों पर बही थी बियर

1814 में लंदन के सेंट जाइल्स में आठ लोगों की मौत हो गई थी और वह भी बियर की बाढ़ में। यह एक इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट था, जिसमें 3.20 लाख गैलन से ज्यादा बियर से भरे कंटेनर धमाके में फट गए थे। नीचे गरीबों की बस्ती थी, जिस पर यह बियर गिरी थी। धमाका इतना तेज था कि बियर फैक्टरी की दीवार तक टूट गई थी।

फैक्टरी में तो कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन फैक्टरी के पास रहने वाले एक बच्चे को अंतिम बिदाई देने जुटे लोगों पर यह आपदा ही थी। तमाम जांच बिठाई गई, लेकिन फैक्टरी मालिक को लापरवाही के लिए जिम्मेदार न ठहराकर इसे एक्ट ऑफ गॉड कहा गया। बियर की लहर 15 फीट तक ऊंची गई थी, जो एकाएक आई और लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला था।

17 अक्टूबर के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2009ः हिंद महासागर में स्थित मालदीव ने पानी के अंदर दुनिया की पहली कैबिनेट बैठक कर सभी देशों को ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से आगाह करने की कोशिश की।

2004ः गुआंतानामो बे जेल में कैदियों को यातना देने का खुलासा।

2003ः चीन ने एशिया के पहले और दुनिया के तीसरे देश के रूप में अंतरिक्ष में मानव भेजने में सफलता प्राप्त की।

1941ः द्वितीय विश्व युद्ध में पहली बार जर्मनी की पनडुब्बी ने एक अमेरिकी पोत पर हमला किया।

1933ः प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन नाजी जर्मनी से अमेरिका चले गए।

1917ः प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन ने पहली बार जर्मनी पर हवाई हमले किए।

1912ः बुल्गारिया, यूनान और सर्बिया ने ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई की घोषणा की।

1888ः वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन ने ऑप्टिकल फोनोग्राफ के पेटेंट के लिए एप्लिकेशन दी।

1870ः कलकत्ता बंदरगाह को एक संवैधानिक निकाय प्रबंधन के तहत लाया गया।

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