आज का इतिहास: भारत से शुरू हुआ दुनिया का सबसे पुराना टीम गेम पोलो, आज ही के दिन खेला गया था पहला ऑफिशियल मैच
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14 मिनट पहले
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3 सितंबर 1875 को दुनिया का पहला पोलो मैच खेला गया था। अर्जेंटाइन ओपन पोलो टूर्नामेंट में खेले गए इस मैच को पहला आधिकारिक पोलो मैच माना जाता है। पोलो दुनिया का सबसे पुराना टीम स्पोर्ट है। इसका इतिहास 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है।
भारत में पोलो को आधुनिक रूप में लाने का श्रेय मुगलों को जाता है। ब्रिटिश काल में प्रसिद्ध ब्रिटिश कप्तान रॉबर्ट स्टीवर्ट पोलो का अंग्रेजी रूप लेकर आए। ब्रिटिश शासकों ने असम के सिलचर में एक पोलो क्लब की स्थापना की।
हालांकि मणिपुर और मंगोल जाति के लोग ब्रिटिशर्स के आने से पहले से ही पोलो खेलते थे। इसी वजह से मणिपुर को पोलो का जन्मस्थान माना जाता है। ‘सागो कांगजेई’ नामक एक पारंपरिक मणिपुरी खेल को आधुनिक पोलो का जन्मदाता माना जाता है।
हैदराबाद में ब्रिटिश आर्मी पोलो टीम के खिलाड़ी।
1892 में भारत में इंडियन पोलो एसोसिएशन की स्थापना हुई। उस समय अलग-अलग रियासतों की अपनी पोलो टीम हुआ करती थी। इनमें जयपुर, भोपाल, अलवर, बीकानेर और हैदराबाद मुख्य थीं। आजादी के बाद भी पोलो भारत में खेला जाता रहा। 1957 में भारतीय पोलो टीम ने फ्रांस में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया था।
2013: बिक गया था नोकिया
साल 2000 के बाद का शुरुआती वक्त। भारत में टेलिकॉम इंडस्ट्री रफ्तार पकड़ने लगी थी जिसको लीड कर रही थी- नोकिया। उस दौर में नोकिया घर-घर में जाना पहचाना नाम था। अपने कीपैड फोन की ब्रॉड रेन्ज की वजह से नोकिया के सामने कोई भी दूसरी कंपनी टिक नहीं सकती थी, लेकिन एक दशक के भीतर ही नोकिया की रफ्तार पर ब्रेक लगने लगा। कंपनी को खासा नुकसान हुआ और आज ही के दिन 2013 में माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया को खरीद लिया।
नोकिया का इतिहास डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। 1865 में फ्रेडरिक इडेस्टैम ने फिनलैंड में नोकिया कॉर्पोरेशन की शुरुआत बतौर एक पेपर मिल कंपनी की थी। हालांकि उस वक्त कंपनी को नोकिया नाम नहीं मिला था। कुछ सालों बाद कंपनी ने अपनी दूसरी ब्रांच नोकियानवेरता नदी के पास खोली। माना जाता है कि नदी के नाम की वजह से ही नोकिया को नोकिया नाम मिला। शुरुआत में कंपनी पेपर, रबर और केबल्स का कारोबार करती थी।
1871 में फ्रेडरिक इडेस्टैम ने अपने दोस्त लियो मैकलीन के साथ मिलकर एक शेयर्ड कंपनी बनाई जिसे नोकिया एबी नाम दिया गया। 1896 में इडेस्टैम रिटायर हो गए और कंपनी का पूरा कारोबार मैकलीन के जिम्मे आ गया।
कंपनी ने धीरे-धीरे अपना बिजनेस दूसरे सेक्टर में भी फैलाना शुरू किया। 1902 में कंपनी ने इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन में कदम रखा। कुछ साल बाद ही विश्वयुद्ध शुरू हो गया और कंपनी दिवालिया हो गई। इस कंपनी का अधिग्रहण फिनिक्स रबर कंपनी ने कर लिया। कंपनी स्वतंत्र तौर पर व्यापार करती रही, लेकिन 1967 में इन सारी कंपनियों को मिलाकर नोकिया कॉर्पोरेशन नाम दिया गया।
इसी दशक में नोकिया ने मिलिट्री और आम जनता के लिए मोबाइल रेडियो टेलीफोन के प्रोडक्शन में कदम रखा। 1987 में नोकिया ने दुनिया का पहला हैंडहेल्ड मोबाइल फोन लॉन्च किया। 5 हजार 456 डॉलर कीमत का ये फोन खूब बिका।
1987 में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नोकिया के मोबिरा सिटीमैन फोन से बात की थी। उसके बाद से इस फोन को ‘द गोरबा’ नाम से जाना जाने लगा।
1988 में कंपनी के चेयरमैन कारी कायरोमो ने सुसाइड कर लिया। नए चेयरमैन ने डिसाइड किया कि कंपनी अपने सारे व्यापार बंद कर केवल टेलीकम्यूनिकेशन मार्केट पर ही फोकस करेगी। 1991 में फिनलैंड के प्रधानमंत्री ने नोकिया के फोन से दुनिया की पहली GSM कॉल की। अगले ही साल नोकिया-1011 मॉडल लान्च किया गया। कुछ ही सालों में नोकिया ने अपनी 2100 सीरीज लॉन्च की। इस सीरीज की बिक्री कंपनी की उम्मीदों से कहीं ज्यादा हुई। 1998 तक नोकिया दुनिया की टॉप टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी बन गई। अगले एक दशक तक कंपनी टेलीकम्यूनिकेशन मार्केट की बादशाह बनी रही। 2007 में नोकिया के पास कुल टेलीकम्यूनिकेशन मार्केट की 49 फीसदी हिस्सेदारी थी।
2007 के बाद से ही नोकिया के बुरे दिन शुरू हो गए। कंपनी ने iOS और एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय सिम्बियन को ही इस्तेमाल किया। ये नोकिया की सेल में गिरावट की एक बड़ी वजह बनी। कंपनी ने मार्केट में दोबारा लौटने की खासी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई। नतीजा ये हुआ कि 3 सितंबर 2013 को माइक्रोसॉफ्ट ने 7.2 अरब डॉलर में नोकिया को खरीद लिया।
इस सौदे के साथ ही, नोकिया के प्रमुख स्टीफन ईलॉप समेत नोकिया का 32,000 लोगों का स्टाफ माइक्रोसॉफ्ट का स्टाफ बन गया।
1783: पेरिस संधि के साथ अमेरिका में संघर्ष खत्म हुआ
3 सितंबर 1783 को पेरिस संधि के साथ अमेरिका में इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे संघर्ष का अंत हुआ। इस संधि के बाद इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री लॉर्ड नॉर्थ ने इस्तीफा दे दिया। इंग्लैंड के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत 1756 में हुई थी। तब अमेरिकियों ने बॉस्टन बंदरगाह पर खड़े एक चाय के जहाज को लूट लिया था। इतिहास में ये घटना बॉस्टन चाय पार्टी के नाम से जानी जाती है। 4 जुलाई 1776 को अमेरिका ने खुद को आजाद घोषित कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी संघर्ष जारी रहा। 3 सितंबर 1783 को हुई संधि के साथ ये संघर्ष खत्म हुआ और 13 अमेरिकी उपनिवेश स्वतंत्र घोषित हुए।
आज के दिन को इतिहास में इन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…
2015: ऑस्ट्रेलिया में क्रिस नाम की एक भेड़ से 40 किलो ऊन निकाला गया। ये एक भेड़ से एक साथ सबसे ज्यादा ऊन निकालने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है।
2006: भारतीय मूल के भरत जगदेव ने गुयाना के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
2003: पाकिस्तान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने का फैसला किया।
1998: नेल्सन मंडेला द्वारा गुट निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन में कश्मीर मुद्दा उठाए जाने पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की।
1943: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने इटली पर हमला किया।
1939: ब्रिटिश प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलिन ने एक रेडियो प्रसारण के दौरान फ्रांस के साथ मिलकर जर्मनी के खिलाफ युद्ध छेड़ने की घोषणा की। इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। हालांकि इसकी शुरुआत 1 सिंतबर से ही हो गई थी।
1923: तबला वादक पंडित किशन महाराज का जन्म हुआ।
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