आज का इतिहास: फूट डालो और राज करो नीति की पहली साजिश थी बंगाल विभाजन की घोषणा, लॉर्ड कर्जन के फैसले का देशभर में हुआ था विरोध

आज का इतिहास: फूट डालो और राज करो नीति की पहली साजिश थी बंगाल विभाजन की घोषणा, लॉर्ड कर्जन के फैसले का देशभर में हुआ था विरोध

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35 मिनट पहले

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आज का इतिहास: फूट डालो और राज करो नीति की पहली साजिश थी बंगाल विभाजन की घोषणा, लॉर्ड कर्जन के फैसले का देशभर में हुआ था विरोध

आज ही के दिन 1905 में अंग्रेज वायसराय लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की थी। इस घोषणा के करीब 3 महीने बाद 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन हो गया। भारत की हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने की ये अंग्रेजों की सबसे बड़ी साजिश थी।

दरअसल तब का बंगाल आज के पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम और बांग्लादेश से मिलकर बना था। क्षेत्रफल के लिहाज से ये इलाका फ्रांस जितना बड़ा था, लेकिन इसकी आबादी कई गुना ज्यादा थी। अंग्रेजों ने बंटवारे के पीछे इतने बड़े इलाके को संभालने में आ रही प्रशासनिक परेशानियों को वजह बताया और कहा कि ब्रिटिश सरकार को ऐसा मजबूरी में करना पड़ रहा है। विभाजन के बाद प्रशासनिक कामकाज बेहतर होगा, लेकिन भारतीयों को इस फैसले के पीछे छिपी साजिश समझ आ गई थी।

दरअसल बंगाल का पूर्वी हिस्सा मुस्लिम बहुल था, जबकि पश्चिमी हिस्से में हिंदुओं की आबादी ज्यादा थी। कर्जन ने मुस्लिम बाहुल्य पूर्वी बंगाल को असम के साथ मिलाकर अलग प्रांत बना दिया। इसका मुख्यालय ढाका बनाया गया। दूसरी तरफ बंगाल के बाकी हिस्से को पश्चिम बंगाल नाम दे दिया गया। कुल मिलाकर दोनों प्रांतों में दो अलग-अलग धर्मों को बहुसंख्यक बनाना अंग्रेजों का उद्देश्य था।

बंगाल उस समय राष्ट्रीय चेतना का केंद्र था। इसी चेतना को खत्म करने के लिए कर्जन बंगाल को बांटना चाहता था। भारतीय इस बात को समझ चुके थे कि ये अंग्रेजों की बांटो और राज करो वाली नीति है। लिहाजा इस फैसले का देशभर में विरोध होने लगा।

बंगाल विभाजन के फैसले के बाद स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ और पूरे देश में चरखा इस आंदोलन का प्रतीक बन गया।

बंगाल विभाजन के फैसले के बाद स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ और पूरे देश में चरखा इस आंदोलन का प्रतीक बन गया।

कांग्रेस ने स्वदेशी आंदोलन शुरू कर दिया। पूरे देश में विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘अमार शोनार बांग्ला’ भी अंग्रेजों के इस फैसले के विरोध में लिखा था, जो कि आगे चलकर बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान बना।

बंगाल विभाजन से भारतीय इस कदर आहत हुए कि 16 अक्टूबर 1905 को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया गया। हिन्दुओं और मुसलमानों ने अपनी एकता दिखाने के लिए एक-दूसरे को राखी बांधी। हालांकि, इतने व्यापक विरोध प्रदर्शन का लॉर्ड कर्जन पर कोई असर नहीं हुआ और 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल का विभाजन कर दिया गया।

1944: हिटलर पर हमला हुआ

20 जुलाई 1944 को जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर पर जानलेवा हमला हुआ था। हालांकि इस हमले में हिटलर को मामूली चोटें आईं और वो बच गया। हिटलर पर ये हमला उसी की सेना के कर्नल क्लॉज वॉन स्टॉफनबर्ग ने किया था।

1943 में स्टॉफनबर्ग की पोस्टिंग ट्यूनीशिया में हुई थी। यहां पर एक हमले में स्टॉफनबर्ग को एक आंख और एक हाथ गंवाना पड़ा था। इसी दौरान स्टॉफनबर्ग एक संगठन के संपर्क में आए जिसका उद्देश्य हिटलर को मार गिराना था।

1944 में स्टॉफनबर्ग जर्मन रिप्लेसमेंट आर्मी के चीफ बनाए गए। अब वे आसानी से हिटलर से मिल सकते थे। उन्हें हिटलर की हत्या के लिए ये आसान मौका मिल चुका था। हिटलर ने पूर्वी प्रशिया के जंगलों में एक कमांड पोस्ट बनाया था। यहां हिटलर रोजाना मीटिंग करता था।

धमाके के बाद घटनास्थल की जांच करते नाजी पार्टी के अधिकारी।

धमाके के बाद घटनास्थल की जांच करते नाजी पार्टी के अधिकारी।

स्टॉफनबर्ग ने योजना बनाई कि इसी मीटिंग के दौरान हिटलर को एक विस्फोट में मार दिया जाएगा। इसके लिए उन्होंने एक सूटकेस में बम लगाया और इस सूटकेस को मीटिंग की जगह पर रख दिया। हिटलर की मीटिंग चल रही थी तभी ये बम फटा।

स्टॉफनबर्ग चाहते थे कि ये सूटकेस हिटलर के ज्यादा से ज्यादा नजदीक हो लेकिन बम फटने से ठीक पहले किसी ने सूटकेस को एक टेबल के नीचे रख दिया था। इस वजह से बम का असर कम हुआ। हालांकि हमले में चार लोग मारे गए थे, लेकिन हिटलर को मामूली चोटें आईं। बाद में स्टॉफनबर्ग और बाकी लोगों को पकड़ लिया गया और उनकी हत्या कर दी गई।

1969: चांद पर इंसान का पहला कदम

20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रांग ने चांद की सतह पर कदम रख इतिहास रच दिया था। उन्होंने 16 जुलाई को अपोलो-11 के जरिए अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी। 4 दिन की यात्रा के बाद जब उन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर को मैसेज भेजा – ‘हम लैंड कर चुके हैं’ तो दुनिया की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा।

चांद पर नील आर्मस्ट्रांग।

चांद पर नील आर्मस्ट्रांग।

उन्होंने चांद की सतह पर कदम रखते हुए कहा, ‘एक इंसान के लिए यह एक छोटा कदम है, लेकिन सम्पूर्ण मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है।’ उनके साथ एक और अंतरिक्षयात्री बज एल्ड्रिन भी थे। दोनों करीब ढाई घंटे तक चांद की सतह पर रहे। 24 जुलाई को नील आर्मस्ट्रांग धरती पर वापस लौट आए।

20 जुलाई के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2005: कनाडा में समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी मिली। ऐसा करने वाला कनाडा दुनिया का चौथा देश बना।

1997: तीस्ता नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश में समझौता हुआ।

1976: अमेरिका का वाइकिंग मंगल की सतह पर उतरा। मंगल ग्रह पर किसी स्पेसक्राफ्ट की ये पहली लैंडिंग थी।

1968: शिकागो में पहली बार इंटरनेशनल स्पेशल ओलिंपिक खेलों का आयोजन हुआ।

1296: जलालुद्दीन खिलजी की हत्या के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने खुद को दिल्ली का शासक घोषित किया।

खबरें और भी हैं…

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