असम पुलिस पर फेक एनकाउंटर के आरोप: 40 दिन में गोलीबारी की 20 घटनाएं, 13 संदिग्ध मारे गए; दिल्ली के वकील की मांग- मानवाधिकार आयोग दखल दे
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24 मिनट पहले
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पुलिस कहती है कि अपराधियों ने उनसे हथियार छीन लिए और जवाबी कार्रवाई में मारे गए।
असम पुलिस पर फेक एनकाउंटर के आरोप लगे हैं। राज्य में 40 दिन में ऐसी 20 घटनाएं हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान पुलिस की गोली से कम से कम 13 संदिग्ध अपराधी मारे गए। जबकि दुष्कर्म और पशु तस्करी के 10 से ज्यादा आरोपी घायल हुए।
असम में दो महीने पहले भाजपा नेता हेमंत बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे में उनके कार्यकाल में फेक एनकाउंटर बढ़ने के आरोप लगाए जा रहे हैं। दिल्ली के एक वकील आरिफ जवादर ने इस मामले में शनिवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज कराई है और दखल देने की मांग की है।
ट्रेंड पुलिस अधिकारियों से पिस्तौल छीने जाने पर भी सवाल
वकील जवादर का आरोप है कि असम पुलिस ने फेक एनकाउंटर में छोटे अपराधियों को मार गिराया है। पुलिस कहती है कि अपराधियों ने उनसे हथियार छीन लिए और जवाबी कार्रवाई में मारे गए। इस पर जवादर का सवाल है कि यह कैसे संभव है? एक ट्रेंड पुलिस अधिकारी से कोई कथित अपराधी हथियार कैसे छीन सकता है, जबकि पिस्तौल कमर की बेल्ट से बंधी होती है।
रविवार को भी एनकाउंटर में एक अपराधी मारा गया
राज्य में नगांव जिले में रविवार को गोलीबारी की दो घटनाएं हुईं। इसमें नगांव के नजदीक ढिंग में पुलिस ने डकैत जैनल आबेदीन को मार गिराया। इस बारे में नगांव के एसपी आनंद मिश्रा ने कहा कि हमें सूचना मिली थी कि आबेदीन अपनी गैंग के साथ नागांव इलाके में एक घर को लूटने जा रहा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें सरेंडर करने की चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने गोलियां दागनी शुरू कर दीं।
जवाबी कार्रवाई में आबेदीन घायल हो गया। उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। रविवार को ही दूसरी घटना में एक संदिग्ध ड्रग डीलर घायल हो गया।
ढिंग विधायक का आरोप- अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा
ढिंग विधायक अमीनुल इस्लाम ने भी एनकाउंटर को लेकर राज्य पुलिस पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि फर्जी एनकाउंटर में ज्यादातर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। विधायक ने आबेदीन का पक्ष लिया। उनका कहना है कि वे उसे जानते थे वह डकैत नहीं, बल्कि शराबी था।
मुख्यमंत्री ने एनकाउंटर पैटर्न का सपोर्ट किया
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कुछ दिनों पहले ही एनकाउंटर्स को सही ठहराया था। उन्होंने कहा था कि अगर कोई आरोपी सर्विस बंदूक छीनकर भागने की कोशिश करता है या भागता है और अगर वह बलात्कारी है तो कानून ऐसे लोगों के पैर में गोली मारने की इजाजत देता है, न कि छाती में। जब किसी ने मुझसे पूछा कि क्या राज्य में एनकाउंटर का पैटर्न बन गया है तो मैंने कहा कि अगर अपराधी पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करता है तो (एनकाउंटर) पैटर्न होना चाहिए।
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