अभिनेता राज बब्बर ने किया किसान आंदोलन का समर्थन: बोले-पूरे देश का अन्नदाता एक ही बात बोल रहा है तो गलत नहीं हो सकता, जनरल डायर नही रहा तो आज के नेता भी नहीं रहेंगे

अभिनेता राज बब्बर ने किया किसान आंदोलन का समर्थन: बोले-पूरे देश का अन्नदाता एक ही बात बोल रहा है तो गलत नहीं हो सकता, जनरल डायर नही रहा तो आज के नेता भी नहीं रहेंगे

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अमृतसर23 मिनट पहले

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अभिनेता राज बब्बर ने किया किसान आंदोलन का समर्थन: बोले-पूरे देश का अन्नदाता एक ही बात बोल रहा है तो गलत नहीं हो सकता, जनरल डायर नही रहा तो आज के नेता भी नहीं रहेंगे

दरबार साहिब पहुंचे राज बब्बर के साथ तस्वीर लेता एक युवक।

किसान हमारे अन्नदाता हैं, जो भी उनके साथ हो रहा है, वह नहीं होना चाहिए। अगर पूरे देश के किसान एक ही बात बोल रहे हैं तो वो गलत नहीं हो सकते। यह कहना है एक्टर राज बब्बर का। बुधवार को अपनी फिल्म ‘भूत अंकल तुस्सी ग्रेट हो’ के सिलसिले में अमृतसर पहुंचे राज बब्बर ने यहां दरबार साहिब में माथा टेकने के बाद यह बात कही। किसानों पर हो रहे अत्याचार के बारे में बोलने से वह रुक न सके। उन्होंने साफ कहा कि जिसका हम खाते हैं, उनके साथ कुछ भी करने से पहले सोचना चाहिए। जब जनरल डायर जैसे नहीं रहे तो फिर आज के नेताओं की औकात ही क्या है।

राज बब्बर ने कहा कि वह कोई राजनेता नहीं हैं और ना ही कोई लीडर होने के नाते कुछ कह रहे हैं। लेकिन आज वह इंसानियत के नाते यहां बोल रहे हैं। उन्होंने किसानों को मां का दर्ज दिया और कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए, जिसका भी हम खाते हैं उनके लिए हमें अहसानमंद होना चाहिए। किसान हमें मेहनत करके खिलाते हैं और हमें उनकी इज्जत करना सीखना चाहिए। सरकारों को उनकी बातें समझने की जरूरत है। अगर पूरे भारत का किसान इकट्‌ठा होकर कुछ कह रहा है तो वह गलत नहीं हो सकता।

किसानों पर बल प्रयोग करना गलत है

राज बब्बर ने कहा कि हरियाणा में किसानों के साथ जो भी हुआ, वे गलत हुआ। किसानों के साथ जो भी हो रहा है, वे नहीं होना चाहिए। किसानों के साथ जोर-आजमाइश नहीं करनी चाहिए। अंत में उनके शब्द थे, अगर डायर नहीं रहा तो आज की सरकारों के बंदे कैसे रहेंगे।

अमृतसर को अपना घर बताया

राज बब्बर ने अमृतसर को अपना घर बताया। उन्होंने कहा कि अमृतसर की गलियों में उन्होंने अपना बचपन बिताया है। अमृतसर उनका अपना शहर है। दरबार साहिब की उनके जीवन में बहुत महत्ता है। जब भी वह अमृतसर आते हैं, उन्हें शहर की गलियों से बचपन की महक मिलती है।

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