अब सुखजिंदर रंधावा और सिद्धू में अनबन!: डिप्टी CM का चार्ज संभालते वक्त नहीं आए सिद्धू ; रंधावा के मुख्यमंत्री बनने के फैसले के खिलाफ अड़ गए थे प्रदेश प्रधान
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- Now There Is A Rift Between Sukhjinder Randhawa And Navjot Sidhu, Sidhu Did Not Come While Handling The Charge Of Deputy CM; There Was Opposition To Randhawa Becoming CM
जालंधर27 मिनट पहले
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सुखजिंदर रंधावा के चार्ज संभालते वक्त मौजूद CM चरणजीत चन्नी। सिद्धू यहां नजर नहीं आए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के तख्तापलट के बाद भी पंजाब कांग्रेस में कलह थम नहीं रही है। अब प्रदेश प्रधान नवजोत सिद्धू और नए डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा के बीच अनबन हो गई है। डिप्टी सीएम रंधावा ने सोमवार को पंजाब सचिवालय में चार्ज संभाला। इस दौरान सिद्धू वहां नहीं आए। अनबन पर किसी की अधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि इसे रंधावा के CM न बन पाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
सिद्धू ने रंधावा को मुख्यमंत्री बनाने का यह कहकर विरोध किया था कि जट्ट सिख को बनाना है तो फिर मुझे बनाओ, जिसके बाद रंधावा का पत्ता कट गया। उनकी जगह चरणजीत चन्नी पंजाब के पहले दलित CM बन गए। रंधावा उनके डिप्टी बनकर रह गए। कांग्रेस के भीतर भी अब यह नया विवाद पकने लगा है।
सिद्धू की वजह से ऐसे CM बनते-बनते रह गए रंधावा
- कांग्रेस हाईकमान ने सुनील जाखड़ को पंजाब का पहला हिंदू CM बनाना तय कर लिया था। हाईकमान की इच्छा थी तो सिद्धू ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया।
- मुद्दा तब खड़ा हुआ, जब पहले कुछ विधायकों ने सिख स्टेट का मुद्दा उठाकर इसका विरोध कर दिया। बाकी कसर गांधी परिवार की करीबी अंबिका सोनी ने पूरी कर दी। सोनी ने पंजाब में सिख चेहरे को ही CM बनाने की बात कही।
- इसके बाद रंधावा का नाम आया। जैसे ही सिद्धू को पता चला तो उन्होंने भी दावा ठोक दिया। दोनों ही जट्ट सिख कम्युनिटी से हैं। हाईकमान की रंधावा के नाम पर सहमति बन गई। संदेश रंधावा व उनके समर्थकों तक भी पहुंच गया। खुशियां मनाई जाने लगीं।
- यह देख सिद्धू गुस्से से उस होटल से बाहर निकल गए, जिसमें ऑब्जर्वर ठहरे थे। सिद्धू कह गए कि मुझे नहीं बनाना तो किसी दलित नेता को बना दो।
- इसके बाद चन्नी पंजाब के पहले दलित CM बन गए। दरअसल सिद्धू अगले साल होने वाले चुनाव में CM बनना चाहते हैं। उस वक्त वह कोई ऐसा चेहरा कुर्सी पर नहीं चाहते, जिसे हटाना मुश्किल हो जाए।
CM चरणजीत चन्नी के चार्ज संभालते वक्त सिद्धू उनके साथ मौजूद रहे।
कैप्टन को कुर्सी पर बिठाने-उतारने वाली माझा एक्सप्रेस का हिस्सा रंधावा
सुखजिंदर रंधावा भी तृप्त बाजवा व सुख सरकारियों वाली माझा एक्सप्रेस के अहम अंग हैं, जो पंजाब में सत्ता बनाने व हटाने का दम रखती है। कैप्टन को 2017 में इन्हीं लोगों ने पूरी मदद करके सत्ता तक पहुंचाया। तब कैप्टन को प्रताप सिंह बाजवा की बगावत झेलनी पड़ रही थी। बदलते वक्त के साथ कैप्टन के उनसे रिश्ते बिगड़ते गए। फिर कैप्टन का तख्तापलट करने की अगुवाई भी इन्हीं लोगों ने की और उसे अंजाम तक पहुंचाया।
सिद्धू की प्रधानगी को लेकर डटे रहे
नवजोत सिद्धू की प्रधानगी का जब विरोध हो रहा था तो रंधावा उनके साथ डटे रहे। औपचारिक ऐलान से पहले ही रंधावा सिद्धू के साथ रहे। सब नेताओं से मिलवाया। माफी मंगवाने पर अड़े कैप्टन की मांग का विरोध भी किया। सिद्धू के लिए हर तरह की फील्डिंग लगाई। हालांकि जब रंधावा को इसका फल मिलना था तो सिद्धू ने ही अड़ंगा लगा दिया।
ऐसी कोई बात नहीं : रंधावा
हालांकि इस मामले में सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि मैं पैदाइशी कांग्रेसी हूं। कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूं। हाईकमान की मर्जी है कि किसे CM बनाना है। मंत्री या मुख्यमंत्री बनने की मर्जी सबकी होती है, लेकिन इसे पार्टी के बड़े नेताओं को देखना होता है कि किसे बनाना है और किसे नहीं। मैं चन्नी के CM बनने का स्वागत करता हूं। मुझे किसी पद की लालसा नहीं है।
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