अफगानिस्तान में आतंक को बढ़ावा देने पर पाक को भारत ने लगाई फटकार, कहा- भविष्य वह नहीं हो सकता, जो अतीत था
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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग अफगानिस्तानियों के सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति की प्रक्रिया जारी है और हम अफगानियों को झुकने नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि शांति प्रक्रिया का जल्दी अमल में आना सबसे जरूरी है। दोहा, इस्तांबुल और मॉस्कों में हुए समझौतों के आधार पर हमें आगे बढ़ना होगा। अफगानिस्तान का पिछला इतिहास जैसा ही उसका भविष्य नहीं हो सकता है। हर नई पीढ़ी की अलग ही उम्मीदें होती हैं। हमें उन्हें गिरने नहीं देना है।
अफगानिस्तान में बिगड़ते हालातों के चलते हाल ही में भारत ने कंधार से अपने राजनयिकों को वापस बुलाया है। भारत का कहना है कि उसकी अफगानिस्तान में चल रही हिंसा पर पैनी नजर बनी हुई है। एस. जयशंकर ने रूस, चीन जैसे देशों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान की लीडरशिप में और उनके ही द्वारा होनी चाहिए। पाकिस्तान के दखल और उसकी ओर से तालिबान के सहयोग को लेकर भारत और अफगानिस्तान दोनों ही चिंतित है। इस बयान से उन्होंने पाकिस्तान की ओर से तालिबान को मदद किए जाने पर भी निशाना साधा।
अफगानिस्तान के भारत में मौजूद राजयनिक फरीद मुमुंदजाय ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि तालिबान के नेता पेशावर और क्वेटा से काम करते हैं। यह सही नहीं है। ऐसी स्थिति खत्म होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा था कि हजारों अफगानिस्तानियों को तालिबान के चलते बेघर होना पड़ा है और मौतें हुई हैं। उत्तर पश्चिम अफगानिस्तान के बड़े हिस्से पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है। एस. जयशंकर ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे सामने यह चुनौती है कि जो कुछ भी किया जाए वह गंभीरता के साथ हो और अफगानिस्तान के लोगों का भरोसा जताने वाला हो।
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