अफगानिस्तान पर हम खाली हाथ: पूर्व भारतीय डिप्लोमैट बोले- अफगानिस्तान के हालात पर वेट एंड वॉच के अलावा भारत के पास कोई विकल्प नहीं
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नई दिल्ली24 मिनट पहले
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एक तरफ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के अधिकारी अफगानिस्तान जाकर तालिबान के नेताओं से बात कर रहे हैं तो भारत की स्थिति अभी वेट एंड वॉच वाली है। पूर्व भारतीय डिप्लोमैट अनिल वाधवा के मुताबिक भारत अभी रुककर हालात समझने में ही अपनी भलाई समझ रहा है।
उन्होंने कहा कि अभी ऐसी स्थिति नहीं है कि भारत अफगानिस्तान में बनी तालिबानी सरकार को सिरे से खारिज कर दे। वाधवा विदेश मंत्रालय में पूर्वी देशों के मामले के सचिव रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि अभी तालिबान की सरकार को देखने और समझने का समय है।
तालिबान ने कहा- 2-3 दिन में नई सरकार का ऐलान हो सकता है
अफगानिस्तान में सत्ता को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क में लड़ाई छिड़ने की रिपोर्ट है। अफगानिस्तान की वेबसाइट ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क की फायरिंग में तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर घायल हो गया है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि बरादर का इस समय पाकिस्तान में इलाज चल रहा है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। दूसरी ओर भास्कर के सूत्रों ने बरादर के घायल होने की रिपोर्ट को आधारहीन बताया है। तालिबान का कहना है कि 2-3 दिन में नई सरकार का ऐलान किया जा सकता है। इसके लिए पंजशीर के पूरी तरह कब्जे में आने का इंतजार किया जा रहा है। साथ ही कहा है कि कुछ पदों को लेकर भी मतभेद हैं।
पंजशीर में तालिबान का साथ दे रही पाकिस्तानी फौज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजशीर में जारी जंग में पाकिस्तान के सैनिक तालिबान का साथ दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि पंजशीर में मारे गए एक पाकिस्तानी सैनिक का आई-कार्ड भी मिला है। बता दें पाकिस्तान पर तालिबान की मदद करने और उसे बढ़ावा देने के आरोप काफी समय से लगते रहे हैं और अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के पीछे भी पाकिस्तान का हाथ होना बताया जा रहा है।
तालिबानी सरकार की कमान आतंकियों को दिलवाना चाहता है पाकिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के ऐलान से पहले पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद के काबुल पहुंचने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस बीच अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलाइमनखिल ने कहा है कि ISI चीफ काबुल इसलिए पहुंचे हैं ताकि आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के नेता को तालिबानी सरकार का प्रमुख बनवा सकें और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को प्रमुख बनने से रोक सकें।
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